________________ जाईसरा जिणिंदा अप्परिवडिएहिं तिहि उ नाणेहिं / कित्तीय य बुद्धीय य अब्भहिया तेहिं मणुएहि // 276 // देसूणगं च वरिसं इंदागमणं च वंसठवणाए। . आहारमंगुलीए विहिति देवा मणुण्णं ति .. // 277 // सक्को वंसट्ठवणे इक्खु अगू तेण होंति इक्खागा। तालफलाहयभगिणी 'होही पत्ति' ति सारवणा // 278 // पढमो अकालमच्चू तहिं तालफलेण दारगो पहओ। कण्णा उ कुलगरेहि सिटे गहिया प्रीतिव्वा (? बितिज्जा)उ // 279 // भोगसमत्थं(? त्थे) नाउं वरकम्मे कासि तेसि देविंदा / दोण्हं वर-महिलाणं वहुकम्मं कासि देवीओ // 280 // एवं दस वारेज्जा दससु विं वासेसु होंति नायव्वा। . दस वि जिणाणं एते देवाऽसुरपरिषुडा वत्थु (? वुत्ता) . // 281 // छपु(प्पु)व्वसयसहस्सा पुव्विं जायस्स जिणवरिंदस्स / तो भरह-बंभि-सुंदरि-बाहुबली चेव जायाई // 282 // देवीसुमंगलाए भरहो बंभी य मिहुणयं जायं / देवीए सुनंदाए बाहुबली सुंदरी चेव / // 283 // अउणापण्णं जुयले पुत्ताण सुमंगला पुणो पसवें / नीतीण अइक्कमणे निवेयणं उसभसामिस्स // 284 // 'राया करेइ दंडं' सिढे ते बेंति 'अम्ह वि स होउ' / 'मग्गह य कुलगरं' सो य बेइ 'उसभो उ भे राया' // 285 // आभोएउं सक्को उवागओ तस्स कुणइ अभिसेयं / . मउडाइअलंकारं नरिंदजोगं च से कुणइ बिसिणीपित्ते इयरे उदयं घेत्तुं छुहंति पाएसु। . 'साहुविणीया पुरिसा' विणीयनयरी अह निविट्ठा // 287 // Co