________________ नच्चंति अच्छाओ अभिणयअंगोवहारपडिपुण्णं / चउरंगहारमणहरसहावभावं ससिंगारं // 240 // तो पहयभेरि-झल्लरि-दुंदुहिगंभीरमहुरनिग्घोसो। अंबरतले वियंभइ हरिसुक्करिसं जणेमाणो // 241 // ससुरासुरनिग्घोसो कहकह-उक्कडि(ट्ठि)कलयलसणाहो / सुव्वइ दससु दिसासुं पक्खुहियमहोदहिसरच्छो // 242 // तो दुग्ग (? व्वा)-सिद्धत्थग-सव्वोसहि-कुसुम-न्हाणवासेहिं / अच्चुयइंदो दससु वि जिणाभिसेयं करेसि ण्हं // 243 // अवसेसा वि सुरवती तेणेव कमेण पाणयाईया / सव्विड्डीए सपरिसा जिणाभिसेयं करेसि ण्हं // 244 // जाहे सव्वेहिं कया अभिसेया देव-दाणवेहिं वा। सक्कीसाणा दोन्नि वि धवलवसहसिंगधाराहि / // 245 // चउउदहिसलिल-सरियाजलं च वसभेसु पक्खिवंति सुरा। असुर-सुरऽच्छरसहिया जिणाभिसेयं करेऊण . // 246 // पम्हलसुयंधसुमउयवस्थेण जिणाण अंगुवंगगयं / अवणेऊण जलरयं सहस्सनयणा पयत्तेणं . हरिचंदणाणुलित्ते दिव्वाभरणलहुभूसणे काउं। सक्का कुणंति तेसिं सीसे पज्जोवहारादी // 248 // कोउगसयाइं. विहिणा काऊणं जिणवराण मुहकमला (ले)। न वि तिप्पंति नियंता अच्छिसहस्सेहिं सक्किंदा // 249 / / तो देव-दाणविंदा सअच्छा सपरिसा पहिट्ठमणा / अभिसंधुणंति पयया थुइसयपरिसंथुए वीरे // 250 // "तुम्ह नमो पायाणं चक्रंकुसलक्खणंकियतलाणं / कुम्मसुपइट्ठियाणं उण्णयंतणुतंबणक्खाणं // 251 // // 247 //