________________ // 120 // // 121 // // 122 // // 123 // // 124 // // 125 // तत्तो य पहायम्मी गयम्मि सूरे जुगंतरं कमसो। मिहुणाण ताण पासं सक्कीसाणा गया सहसा तेहि विणएण तो ते सुविणफलं पुच्छिया सुरवरिंदा / चिंतेउं पिव ईसि कयंजली सुरवरा भणिया जह "एते साइसया दिट्ठा कल्लाणदंसणा सुमिणा। होहिंति तुम्ह पुत्ता उत्तमविण्णाणसंजुत्ता होहिंति पुहइपाला दससु वि खेत्तेसु ते महासत्ता / दरिसंति य सिप्पसयं बावत्तरिमेव य कलाओ भोत्तूण वरे भोए, रज्जं काऊण, दाऊं दाणं तु / काऊण य सामण्णं, जाहितिऽयरामरं ठाणं" एवं दो वि सुरिंदा सुविणफलं साहिऊण मिहुणाणं / . 'अच्छह सुहं' ति वोत्तुं आमंतेउं गया सग्गं अह हरिसिया कुलगरा आदेसं तं सुणेत्तु सक्काणं / जणणीओ वि पमोयं अउलं गच्छंति तं वेलं . तप्पभिइ [स]मागंतुं माणुसरूवं समस्सिया तहियं / जिणजणणीओ सेवंति देवयाओ य जत्तेणं सक्कादेसेण तया नाणाविहपहरणा जिणवरिंदे। रक्खंति हट्ठतुट्ठा दससु वि खेत्तेसु देवीओ . संपुण्णदोहलाओ विवित्तसयणासणाओ सव्वाओ। अप्पहियं आहारं सेवंति मणाणुकूलं तु ववगयसोग-भयाओ वहमाणीओ सुहेहि ते गब्भे। पत्ते वि पसंवसमए अच्चत्थं गूढगब्भाओ जह वटुंति सुगब्भा सोहा तह तासि पीवरा होइ / अहियं च जणो मिहुणाण तेहिं सह संगयं कुणइ ... .. . So // 126 // // 127 // // 128 // // 129 // // 130 // // 131 //