________________ दिव्वं रयणविचित्तं पेच्छंति महासयं परमरम्म। निव्वज्जवज्जसारं विज्जुज्जलचंचलपडागं . // 108 // तुंगं गयणविलग्गं धरणियलपइट्ठियं महाकायं / आगासं व मिणेउं ठियं महिंदज्झयं पुरओ . // 109 // हेमंतबालदिणयरसमप्पभं सुरभिवारिपडिपुण्णं / दिव्वं कंचणकलसं पउमपिहाणं तु पेच्छंति // 110 // फलिहसरिच्छऽच्छजलं सउणगणनिसेवियं मणभिरामं / वियसियपउमसरं तं पेच्छंति हु हरिसिंयमणाओ // 111 // उम्मीसहस्सपउरं नाणाविहमच्छ-कच्छभाइण्णं। ... गंभीरगज्जियरवं खीरसमुदं तु पेच्छंति // 112 // वेवलमिरीइकवयं विणिम्मुयंतं समूसियमुदारं / पासायं पेच्छंती पडागमालाउलं रम्म // 113 // मंदरगुहगंभीरं पमुइयपक्कीलियं मणभिरामं / नागभवणं महंतं पेच्छंती पीवरसिरीयं // 114 // निद्धिंधणपज्जलियं व हुयवहं नियगभूइसंजुत्तं / .. पेच्छंती रयणचयं किरणावलिरंजियदिसोहं // 115 // परिणयकुसुंभसरिसं आहुइपउरं हुयासणं जलियं / तणुपवणेरियजालं निद्भूमपयक्खिणावत्तं / / 116 // एते चोद्दस सुमिणे ताओ पेच्छंति वीरजणणीओ। मरुदेवीपमुहाओ, कहिंसु नियकुलगराणं तु // 117 // तो ते कुलगरनाहा जायातो भणंति सोहणं वयणं / . "होहिंति तुम्ह पुत्ता कित्तीजुत्ता महासत्ता // 118 // ते वि य अम्हाहितो अहिया होर्हिति नत्थि संदेहो। अहवा वि कुलगराण वि विसिट्ठतरयं तु जं ठाणं" // 119 // दद