________________ // 60 // // 61 // // 62 // // 63 // // 64 // // 65 // जो पडिमं चेइहरे सेत्तुंजगिरिस्स मत्थए कुणइ। भोत्तूण भरहवासं वसइ स सग्गे निरुवसग्गे जो पुण तवं च तप्पइ उड्ढभुओ एक्कपायनिक्कंपो / सेत्तुंजे चडिऊणं होइ सुरिंदो नरिंदो वा ... पूर्व करेइ विहिणा सेत्तुजे चेइयाण सव्वेसि / सो पूइज्जइ निच्चं देवाऽसुर-माणुसेहिं पि. संभरइ जो तिसंझं सेत्तुंजे जाइ वंदओ पसरे / भावविसुद्ध तहा वि हु तित्थफलं होइ पुंडरिए सट्ठाणे वि ठियस्स वि संभरमाणस्स वड्ढए पुण्णं / पावइ सो तित्थफलं सेत्तुंजे भावसुद्धीए तित्थाण तित्थजत्ता सम्मं नो होइ माणुसे लोए / जाव न दिट्ठों विहिणा पुंडरिओ गिरी सुद्धाए .. जं किंचि नामतित्थं सग्गे पायालि माणुसे लोए। तं सयलमेव दिट्ठ पुंडरिए वंदिए संते केवलनाणुप्पत्ती निव्वाणं आसि सव्वसाहूणं / पुंडरिए वंदित्ता सव्वे ते वंदिया तित्था अट्ठावइ सम्मेए पावा-चंपाइ उज्जिलनगे यं / वंदित्ता पुण्णफलं सयगुणियं तं पि पुंडरिए पूयाकरणे पुण्णं एगगुणं, सयगुणं च पडिमाए / जिणभवणेण सहस्सं, णंतगुणं पालणे होइ छत्तं झयं पडागं चामर-भिंगार-ण्हवणकलसाइं / बलिथालं सेत्तुंजे दितो विज्जाहरो होइ वेयड्ढे य गुणड्ढे दुण्ह वि सेढीण होइ सो राया / रहदाणं दाऊणं सेत्तुंजे तित्थठाणम्मि . પર // 66 // // 67 // // 68 // // 69 // // 70 // // 71 //