________________ जो चडइ हु सित्तुंजे अट्ठमि चाउद्दसीइ पण्णरसिं / दुण्ह वि पक्खाण फलं सो होइ परित्तसंसारी - // 72 // नवकार-पोरिसीए पुरिमड्ढेक्कासणे य आयामे / पुंडरियं च सरंतो फलकंखी कुणइ भत्तटुं // 73 // छट्ठ-ऽट्ठम-दसम-दुवालसाइं मास-ऽद्धमासखमणाई / तिगरणसुद्धो लहई सित्तुंजं संभरंतो य // 74 // नारयरिसि तित्थफलं सोऊणं रिसिवराण कोडीए / सम्मत्तलद्धबुद्धी आढत्तो चिंतिउं एयं // 75 // भूमीसेज्जा-वक्कलनियंसणो मूल-साय(? उ)फलभक्खी / जूयाहिं सिरं खद्धं जडाकलावं वहंतस्स // 76 // निकारणं च भमिओ परछिद्दाइं मणेण चितंतो। पिसुणो निरणुकंपो आसि अहं सयललोयस्स // 77 // पिसुणत्तणेण अहयं जुज्झामि जणस्स यं(ज) अथामस्स / लोए निग्घिणमणसो हरिसेण पणच्चिओ गयणे . // 78 // एसो निग्घिणमणसो आसि अहं माणुसम्मि लोगम्मि। इण्डिं वच्चामि अहं जिणोवइटेण मग्गेण // 79 // जह जह वेग्गमणो तह तह सुझंति नारए लेसा / सव्वं खवेइ कम्मं इहभवियं तं(ज) च अण्णभवे // 80 // दिक्खाभिमुहो चलिओ लोयं च करेइ अप्पणो सीसें। उक्खणइ जडाभारं पंचहिं मुट्ठीहिं सव्वं पि // 81 // निम्मायम्मि य लोए विसुद्धलेसस्स नारयरिसिस्स / तिहुयणसारं दिव्वं उप्पण्णं केवलं नाणं // 82 // एकुत्तरा य कोडी सेत्तुंजगिरिस्स मत्थए सव्वे / सिद्धिगया खीणरया केवलणाणे समुप्पण्णे // 83 // . . 53