________________ // 36 // // 37 // . // 38 // // 39 // // 40 // // 41 // अइमुत्तय-जाईहि य मल्लिय-कोरिंट-जूहियापउरो / दमणो(?णा)-असोय-कुंकुम-सुवण्णजाईयकुसुमेहिं दसविहकप्पदुमेहिं नाणाविहखज्ज-पिज्जरसिएहि / भूसण-वत्थ-विलेवण-सयणीएहिं च विविहेहिं देवाण माणुसाण य निच्चं चिय भूमिभागरमणिज्जो। नच्चंतगीयवाइयअइसुरभोगो सुरगणाणं . . एयारिसो नगरो भूमीओ अट्ठजोयणुत्तुंगो / दसजोयणवित्थिण्णो सिहरे, मूले य पण्णासं गयरागो होऊणं आरूढो पव्वयस्स. सिहरम्मि / साहूहि पुंडरीओ एगुत्तरपंचकोडीहिं चित्तस्स पुण्णिमाए मासक्खमणेण केवलं नाणं / उप्पन्नं सव्वेसिं पढमयरं पुंडरीयस्स . केवलिमहिमं दटुं पुंडरिए सुरगणेहिं कीरंतं / उप्पण्णनाणरयणा केवली जाया तओ सव्वे मुक्खसुहं संपत्ता सेत्तुंजगिरिस्स मत्थए सव्वे / पुंडरीओ साहू विव सिद्धा बुद्धा य कयउण्णा देवेहिं कया महिमा सिद्धि पत्ताण सव्वसाहूणं / पुंडरियकेवलिस्स य सरीरपूया कया विहिणा पूयं काऊण तओ देवा वच्चंति अप्पणो ठाणे / पुंडरियकेवलिस्स वि, भरहेण कयं तु जिणभवणं नवनवई पुव्वाई विहरंतो आगओ य सित्तुंजे / . उसभो साहूहि समं समोसढो पढमतित्थम्मि अवसप्पिणीइ अहयं पढमो तित्थंकरो य भवियाणं / तित्थं य पुंडरीयं पढमयरं सव्वतित्थाणं . 50. // 42 // // 43 // // 44 // // 5 // // 46 // " // 47 //