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________________ सव्वं पाणाइवायं 1 सव्वं मुसावायं 2 सव्वं अदिन्नादाणं 3 सव्वं मेहुणं 4 सव्वं परिग्गहं 5 सव्वं कोहं सव्वं माणं 7 सव्वं मायं 8 सव्वं लोभं 9 सव्वं पेज्जं.१० दोसं 11 कलहं 12 अब्भक्खाणं 13 अरइरई 14 पेसुन्नं 15 परपरिवायं 16 मायामोसं 17 मिच्छादसणसलं 18, इच्चेइयाइं अट्ठारस पावट्ठाणाइं जावज्जीवाए तिविहं तिविहेणं, मणेणं वायाए काएणं, न करेमि न कारवेमि करतं पि अन्नं न समणुजाणामि, अईयं निंदामि, पडुप्पन्नं संवरेमि, अणागयं पच्चक्खामि, तं जहा-अरहंतसक्खियं सिद्धसक्खियं साहुसक्खियं देवसक्खियं अप्पसक्खियं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरामि // 10 // जं पि य इमं सरीरं इ8 कंतं पियं मणुन्नं मणामं नामधिज्जं वेसासियं अणुमयं बहुमयं भंडकरंडगसमाणं रयणकरंगभूयं उवहिव्व सुरक्खियं मा णं सीयं, मा णं उण्हं मा णं खुहा, मा णं पिवासा, मा णं दंसा, मा णं मसगा, मा णं चोरा, मा.णं वाला, मा णं वाइयपित्तिय-सिभिय-सनिवाइया विविहा रोगायंका य फुसंतु, इमं पि सरीरं अपच्छिमेहिं ऊसास-नीसासेहिं जावज्जीवाए वोसिरामि त्ति कटु जे केइ उवसग्गा दिव्वा वा माणुस्सा वा तिरिक्खजोणियावा ते सव्वेसम्म सहियव्वाखमियव्वाअहियासियव्वातितिक्खियव्वत्ति कटु // 11 // आहारं उवहिं देहं पुव्वि दुच्चिन्नाणि य / / अपच्छिमऊसास-नीसासेहिं सव्वं तिविहेण वोसिरे // 12 // इच्चेइयं निरागारं पच्चक्खाणं तु कित्तियं / कालस्स परिमाणेणं सागारं तं वियाहियं . // 13 // भावेइ भावियप्पा अणिच्चयाईओ भावणा सव्वा / खामेइ सव्वसत्ते खमइ य सो सव्वसत्ताणं // 14 // संसारम्मि अणंते परिभममाणेण विविहजाईसु / पुढवित्तमुवगएणं जे दूमिया ते वि खामेमि // 15 // .. . 34
SR No.004465
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages348
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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