________________ हंदि ! धणियं पि धीरा पच्छा मरणे उवट्ठिए संते / मरणसमुग्घाएणं अवसा निजंति मिच्छत्तं . // 150 // तो पुव्वं तु मइमया आलोयण निंदणा गुरुसगासे / कायव्वा अणुपुब्बिं पव्वज्जाईओ जं सरइ // 151 // ताहे जं देज्ज गुरू पायच्छित्तं जहारिहं जस्स / / 'इच्छामि' त्ति भणिज्जा 'अहमवि नित्थारिओ सुब्भे' . // 152 // परमत्थओ मुणीणं अवराहो नेव होइ कायव्यो / छलियस्स पमाएणं पच्छित्तमवस्स कायव्वं // 153 // पच्छित्तेण विसोही पमायबहुलस्स होइ जीवस्स। .. तेण तयंकुसभूयं चरियव्वं चरणरक्खट्ठा // 154 // न वि सुज्झति ससल्ला जह भणियं सव्वभावदंसीहि / मरण-पुणब्भवरहिया आलोयण-निंदणा साहू . // 155 // एकं ससल्लमरणं मरिऊण महब्भयम्मि संसारे / पुणरवि भमंति जीवा जम्मण-मरणाई बहुयाई // 156 // पंचसमिओ तिगुत्तो सुचिरं कालं मुणी विहरिऊणं / मरणे विराहयंतो धम्ममणाराहओ भणिओ // 157 // बहुमोहो विहरित्ता पच्छिमकालम्मि संवुडो सो उ / आराहणोवउत्तो जिणेहिं आराहओ भणिओ // 158 // तो सव्वभावसुद्धो आराहणमइमुहो विसंभंतो। संथारं पडिवनो इमं च हियएण चिंतेज्जा // 159 // एगो मे सासओ अप्पा नाण-दंसणसंजुओ। . सेसा मे बाहिरा भावा सव्वे संजोगलक्खणा // 160 // एक्को हं नत्थि मे कोई, नत्थि वा कस्सई अहं / न तं पेक्खामि जस्साहं, न तं पेक्खामि जो महं // 161 // 32