________________ विणओ मोक्खदारं विणयं मा हू कयाइ छड्डेज्जा / अप्पसुओ वि हु पुरिसो विणएण खवेइ कम्माइं // 54 // जो अविणीयं विणएण जिणइ, सीलेण जिणइ निस्सीलं / सो जिणइ तिण्णि लोए, पावमपावेण सो जिणइ . . // 55 // जइ वि सुयनाणकुसलो होइ नरो हेउ-कारणविहन्नू / . अविणीयं गारवियं न तं सुयहरा पसंसंति // 56 // सुबहुस्सुयं पि पुरिसं पुरिसा अप्पस्सुयं ति ठावेंति / गुणहीण विणयहीणं चरित्तजोगेण पासत्थं // 57 // तव-नियम-सीलकलियं, उज्जुत्तं नाण-दसण-चरित्ते / अप्पस्सुयं पि पुरिसं बहुस्सुयपयम्मि ठावेंति // 58 // सम्मत्तम्मि य नाणं आयत्तं, दंसणं चरित्तम्मि / खंतिबलाओ य तवो, नियमविसेसो य विणयाओ . // 59 // सव्वे य तवविसेसा नियमविसेसा य गुणविसेसा य / नत्थि हु विणओ जेसिं मोक्खफलं निरत्थयं तेसि // 60 // पुव्विं परूविओ जिणवरेहिं विणओ अणंतनाणीहि / सव्वासु कम्मभूमिसु निच्चं चिय मोक्खमग्गम्मि // 61 // जो विणओ तं नाणं, जं नाणं सो उ वुच्चई विणओ / विणएण लहइ नाणं, नाणेण विजाणई विणयं // 62 // सव्वो चरित्तसारो विणयम्मि पइट्ठिओ मणूसाणं / न हु विणयविप्पहीणं निग्गंथरिसी पसंसंति / सुबहुस्सुओ वि जो खलु अविणीओ मंदसद्ध-संवेगो / नाराहेइ चरित्तं, चरित्तभट्ठो भमइ जीवो। थोवेणं वि संतुट्ठो सुएण जो विणयकरणसंजुत्तो / पंचमहव्वयजुत्तो गुत्तो आराहओ होइ / // 65 // // 63 // // 64 // 24