________________ हंतूण सव्वमाणं सीसो होऊण ताव सिक्खाहि / सीसस्स होंति सीसा, न होंति सीसा असीसस्स // 43 // वयणाई सुकडुयाइं पणयनिसिट्ठाई विसहियव्वाइं / सीसेणाऽऽयरियाणं नीसेसं मग्गमाणेणं // 44 // जाइ-कुल-रूव-जोव्वण-बल-विरिय-समत्तसत्तसंपन्नं / मिउ-मद्दवाइमपिसुणमसढमथद्धं अलोभं च // 45 // पडिपुण्णपाणि-पायं अणुलोमं निद्ध-उवचियसरीरं / गंभीर-तुंगनासं उदारदिट्टि विसालच्छं // 46 // जिणसासणमणुरतं गुरुजणमुहपिच्छिरं च धीरं च / सद्धागुणपरिपुण्णं विकारविरयं विणयमूलं // 47 // कालन्नू देसन्न समयन्नू सील-रूव-विणयन्नू / . लोह-भय-मोहरहियं जियनिद्द-परीसहं चेव // 48 // जइ वि सुयनाणकुसलो होइ नरो हेउ-कारणविहन्नू / अविणीयं गारवियं न तं सुयहरा ‘पसंसंति // 49 // (रागरहियं अकंपममच्छरियमकिंचणं निउणबुद्धि / अचवलमवंचणमई जिणपावयणम्मि य पगब्भं // 1 // ) सीसं सुइमणुरत्तं निच्चं विणओवयारसंपन्नं / / वाएज्ज व गुणजुत्तं पवयणसोहाकरं धीरं // 50 // एत्तो जो परिहीणो गुणेहिं गुणसयनओववेएहि.। पुत्तं पि न वाएज्जा, किं पुण सीसं गुणविहूणं ? // 51 // एसा सीसपरिक्खा कहिया निउणेत्थ सत्थउवइट्ठा / सीसो परिक्खियव्वो पारतं मग्गमाणेणं // 52 // सीसाणं गुणकित्ती एसा मे वण्णिया समासेणं / विणयस्स निग्गहगुणे ओहियहियया निसामेह // 53 // 23