________________ // 12 // // 13 // // 14 // // 15 // // 16 // // 17 // छेतूण य परियायं, पोराणं जो ठवेइ अप्पाणं / धम्मम्मि पंचजामे,छेओवट्ठावणो स खलु सो पुण दुविहो वुत्तो, साईयारो य निरइयारो य / पढमंतिम जिणतित्थे, भरहेरवएसु सो हुज्जा मूलगुणभंगओं साई-यारं छेत्तु पुव्वपरियायं / कीरइ पुण वयरोवण, साईयारो उ सो छेओ इत्तर सामइओ जो, जो तित्थातित्थसंकमो वा वि / जह केसी-गंगेया, निरईयारो उ सो छेओ परिहरइ जो विसुद्धं तु, पंचजामं अणुत्तरं धम्मं / तिविहेण फासयंतो, परिहारियसंजओ स खलु एगो वाणायरिओ, चउरो तविणो तदणुचरा चउरो / मुणि नवगं निग्गच्छई, परिहारविसुद्धिचरणाय परिहारियाण उ तवो, जहण्णमज्झुक्कसो उ गिम्हम्मि। स चउत्थछट्ठमट्ठम, सिसिरे छट्टट्ठमो दसमो . अट्ठम दसम दुवालस, वासासु य पारणे य आयामं / कप्पट्ठिया पइदिणं, करंति एमेव आयामं एवं छम्मासतवं, चरिउं परिहारिया अणुचरंति। अणुचरगे परिहारिय-पयट्ठिए जाव छम्मासा कप्पट्टिओ वि एवं, छम्मासतवं करेइ सेसा उ। . अणुपरिहारिय भावं, वयंति कप्पट्ठियत्तं च एवं सो अट्ठारस-मासपमाणो उ वण्णिओ कप्पो / संखेवओ विसेसो, विसेससुत्ताओ नायव्वो जम्मोणतीस वरिसो, परियाए ईगुणवीस वरिसोय / परिहारं पट्टविउं, कप्पड़ मणुओ हु एरिसओ 225 // 18 // // 19 // // 20 // // 21 // // 22 // // 23 //