________________ // 70 // // 71 // // 72 // // 73 // // 74 // // 75 // इत्तो च्चिय सो हलसयडपोयसंगामगोहणाईसु / उवएस पि हु कहं देइ सत्तअणुकंपासंयुत्तो चाणक्क पंचतंतय कामंदयमाइरायनीइओ।। वक्खाणंतो जीवाणं न खलु अणुकंपओ होइ / तह जोइसत्थकंडाइ विज्जुयं मणुयतुरयहत्थीणं / तहा हेमजुत्तिमिसुकलमक्खायंतो हणे जीवे तो अणुकंपपरेणं अविरयसम्मत्तणा उ पडिसेहो / पडिसिद्धाणं नियमा विहियाणं विहिओ कायव्वा दाणं न होइ विहलं पत्तमपत्ते य संनिउज्जंतं। इय वि भणिए दोसा पसंसओ किं पुण अपत्तो गिहमागयाणमुच्चियं पडिसिद्ध भगवया वि न हु सुत्ते / जं पुण तदत्थमसुमंतघायणं तं न जुत्तं ति ... इह सत्तागाराई कहं न दिटुं जिणिदधम्मम्मि / इहरा इट्ठापूयं न निसिद्धं हुज्जं समयम्मि . एवं विहपरिणामो सम्मट्ठिी जिणेहिं पन्नत्तो। तव्विहचिट्ठाइ पुणो नज्जइ भावो वि एयस्स सम्मदिट्ठी जीवो जहत्थबोहाणुगो तओ मुणइ / परलोगाणुट्ठाणं न घडइ जीवं विणा सव्वं अकयागमकयनासो विण्णाणखणम्मि भावओ सन्ते। उदयाणंतरनासे जेण कयं सो न भुत्त त्ति संताणो उ अवत्थू अचेअणाओ य चेयणमजुत्तं / . जुज्जइ सहकारितं नृणमुवादाणरूवत्तो इह पुण्णपावपभवा सुहदुहसंवित्ति जंतुणो जम्हा / ता देवसुया णाणं सुहदुहसंवेयणं नत्थि / 212 // 76 // // 77 // // 78 // // 79 // // 80 // // 81 //