________________ // 5 // // 7 // . // 8 // // 9 // जम्हा तत्थन्नत्थ य, सच्चिअ ओगाहणा भवे खित्ते / तम्हा खेत्तद्धाओऽवगाहणऽद्धा असंखगुणा संकोअविकोएण व, उवरमिआएऽवगाहणाए वि। .. तित्तिअमित्ताणं चिअ, चिरं पि दव्वाणऽवत्थाणं... संघायभेयओ वा, दव्वोवरमे पुणाइ संखित्ते / निअमा तद्दव्वोगाहणाइनासो न संदेहो ओगाहद्धा दव्वे, संकोअविकोयओ अ अवबद्धा / न उ दव्वं संकोअ-णविकोअमित्तम्मि संबद्धं जम्हा तत्थन्नत्थ व, दव्वं ओगाहणाइ तं चेव / दव्वद्धासंखगुणा तम्हा ओगाहणऽद्धाओ संघायभेअओ वा, दव्वोवरमे वि पज्जवा संति / तं कसिणगुणविरामे, पुणाइ दव्वं न ओगाहो संघायभेयबंधा-णुवत्तिणी निच्चमेव दव्वद्धा / न उ गुणकालो संघा-यभेयमित्तद्धसंबद्धो जम्हा तत्थन्नत्थ व, दव्वे खित्तावगाहणासुं च / ते चेव पज्जवा संति, तो तदद्धा असंखगुणा आह अणेगंतोऽयं, दव्वोवरिमे गुणाणऽवत्थाणं / गुणविप्परिणामम्मि अ, दव्वविसेसो अणेगंतो विप्परिणयम्मि दव्वे, कम्मि वि गुणपरिणई भवे जुगवं / कम्मि वि पुण तदवत्थे-वि होइ गुणविप्परीणामो भण्णइ सच्चं किं पुण, गुणबाहुल्ला न सव्वगुणनासो / दव्वस्स तदन्नत्ते वि, बहुतराणं गुणाण ठिई // 10 // // 11 // // 12 // // 13 // // 14 // 202