________________ // 216 // // 217 // // 218 // अस्थि अणंता जीवा, जेहिं न पत्तो तसाइपरिणामो। तेऽवि अणंताणंता, निगोअवासं अणुहवंति केसिंचि जिआणं किर, अणायणंता तणुठिई जे अ। अव्ववहारीअमज्झा, न जाउ समुर्विति ववहारं केसिंचि अ कायठिई, अणाइ संता य भासिआ सुत्ते / जे अ असंववहारिअ-रासीओ जंति ववहारं जिणभद्दखमासमणा, संवायं बिंति इत्थ य विआरे। पुव्वायरिअपवुत्तं, सत्थे अ विसेसणवईए सिझंति जत्तिआ किर, इह संववहारजीवरासीओ। इति अणाइवणस्सइ-रासीओ तत्तिआ तम्मि अप्पबहुत्तविआरे, सव्वत्थोवा तसा असंखाया। तत्तो अ अणंतगुणा, थावरकाया समक्खाया / ते अ जहन्नुक्किट्ठा, णंताणंता पमाणओ नेआ। संसारसमावन्ना, सेत्तं जीवा दुहा वुत्ता / // 219 // // 220 // // 221 // // 222 // श्रीमदभयदेवसूरिविरचिता / ॥प्रज्ञापनोपाङ्गतृतीयपदसंग्रहणी // दिसि.१ गइ 2 इंदिय 3 काए 4 जोए 5 वेए 6 कसाय 7 लेसा य / सम्मत्त 9 नाण 10 दंसण 11 संजम 12 उवओग 13 आहारे 14 1 भासग 15 परित्त 16 पज्जत्त 17 सुहुम 18 सन्नी 18 भवि 20 ऽथिए 21 चरिमे 22 / जीवे य 23 खित्त 24 बंधे 25- . . पुग्गल 26 महदंडए 27 चेव // 2 // 183