________________ // 204 // // 205 // // 206 // // 207 // // 208 // // 209 // थावरभाव भवो खलु, अंतमुहत्तं जहन्नओ होइ। उक्किट्ठ सहस बावीस-वासमाणो अ पुढवीए अंतोमुहुत्तमित्ता, तसेसु कायठिई जहन्नेणं। भणिया य जिणवरेहिं, कालमसंखिज्जमुक्किट्ठा / उस्सप्पिणी अउस्सप्पिणी उ अस्संखकालओ हुँति / लोगा उ असंखिज्जा, काले एअम्मि खित्तओ हुंति अह थावरत्तकालो, थावरजीवाण किच्चिरं होइ / अंतमुहुत्त जहन्नो, अणंतकालं च उक्किट्ठो ओसप्पिणी अणंता, लोआ काला उ खित्तओ हुंति / . पुग्गलपरिअट्टा पुण, आवलिआसंखभागसमा . तसभावस्स वणस्सइ-कालो उक्किट्ठमंतर होइ। तस संचिट्ठणया या जा, थावरभावस्स अंतरयं . पुढवीकाओ पुढवी-काउ ति अ किच्चिरं हवइ जीवो। अंतमुहुत्त जहन्नं, कालमसंखिज्जमुक्कोसो . ओसप्पिणी असंखा, कालाओ खित्तओ तहा लोआ / एवं दगग्गिवाउसु, कायठिइकालपरिमाणं कालोऽणंतो भणिओ, वणसइ जीवाण कायठिंइ भावे / तम्मिअ उस्सप्पिणीओ, कालओ हुंति अ अणंता तह य अणंता लोआ, हुंति असंखिज्ज पुग्गला ते अ। आवलिअ असंखंसे, जे समया तप्पमाणा य कइवयवासब्भहिअंच, सागराणं सहस्सजुअलं तु / . लद्धितसाणं नेअं, कायट्ठिइकालपरिमाणं संववहारिअ जीवे, अहिगिच्च पवन्निओं इमो कालो। इअराणं कायठिई, अणाइ भणिआ जिणमयम्मि // 210 // // 211 // // 212 // // 213 // // 214 // // 215 // 182