________________ अंगुल असंखभागो, पढमा उक्कोसओ अ सत्तकरा / अंगुलसंखिज्जंसो, जोअणसयसहसमिअरा य // 192 // छण्हं संघयणाणं, संघयणेणावि अन्नतरगेण / रहिआ हवंति देवा, नेवट्ठिसिराइ तदेहे . // 193 // जे पुग्गला य इट्टा, कंता य पिआ तहा मणुन्ना य / सुहरसगंधप्फासा, तद्देहे ते परिणमंति // 194 // भवधारणिज्जदेहो, सव्वेसि सुराण पढमसंठाणे / इअरो नाणासंठाण-संठिओ इच्छया भावा // 195 / / चउरो कसायसन्ना, लेसाछकं च इंदिआ पंच / वेअणकसायमारण-वेउव्विअतेअसंघाया : // 196 // सन्नी तहा असन्नी, नेरइआ इव असन्निणो अमरा / थीपुरिसा पज्जत्ती, दिट्ठी दंसण जहा निरया / // 197 // मइ सुअ ओही तिन्नाण-संजुआ सम्मद्दिट्ठि देवा य। . अन्नाणदुगतिएणं, संजुत्ता मिच्छदिट्ठि'सुरा - // 198 // जोगुवओगाहारा, नेरइआणं व होइ देवाणं / ' सन्नि असन्नि पणिदिअ, तिरि सन्नीनराउ उववाओ // 199 // दसवाससहस्साणि अ, ठिई जहन्ना य होइ देवाणं / तित्तीससागरोवम-परिमाणा होइ उक्किंट्ठा // 200 // दुविहं मरणं तेसिं, गच्छंति अ ते अणंतरुव्वट्टा। . भूदगवण संखाउअ-गब्भयतिरिमणुअजीवेसु // 201 // दो आगइ अ दुगइआ, माणुसतिरिअग्गइअ विक्खाए / पत्तेअ असंखिज्जा, एसा य सुराण तेवीसी // 202 // तसभावे अ जिआणं, अंतमुहुत्तं भवट्ठिइ जहन्ना / तित्तीसयरपमाणा, नारयदेवेसु उक्कोसा // 203 // . 181