________________ जं संठाणं तु इहं भवं चयंतस्स चरिमसमयम्मि। आसी य पएसघणं तं संठाणं तर्हि तस्स // 1239 / / उत्ताणओ व्व पासेल्लओ व्व ठियओ निसन्नओ चेव / जो जह करेइ कालं सो तह उववज्जए सिद्धो // 1240 // तिन्नि सता तेवीसा धणुत्तिभागो य होइ बोधव्वो। एसा खलु सिद्धाणं उक्कोसोगाहणा भणिता // 1241 // चत्तारि य रयणीओ रयणितिभागूणिया य बोधव्वा / एसा खलु सिद्धाणं मज्झिमओगाहणा भणिया // 1242 // एगा य होइ रयणी अटेव य अंगुलाई साहीया / एसा खलु सिद्धाणं जहन्नओगाहणा भणिया // 1243 // जत्थ य एगो सिद्धो तत्थ अणंता भवक्खयविमुक्का / अन्नोन्नसमोगाढा पुट्ठा सव्वे य लोगंते // 1244 // फुसइ अणंते सिद्धे सव्वपदेसेहिं नियमसो सिद्धो। ते वि असंखेज्जगुणा देस-पदेसेहि में पुट्ठा // 1245 // केवलनाणुवउत्ता जाणंति सव्वभावगुणभावे। पासंति सव्वओ खलु केवलदिट्ठीअ(हऽ)णताहि // 1246 // न वि अत्थि माणुसाणं तं सोक्खं न वि य सव्वदेवाणं। जं सिद्धाणं सोक्खं अव्वाबाहं उवगाणं // 1247 // सुरगणसुहं समत्तं सव्वद्धापिंडितं अणंतगुणं। . न वि पावइ मुत्तिसुहं णंताहि वि वग्गवग्गूर्हि // 1248 // सिद्धस्स सुहों रासी सव्वद्धापिंडिओ जइ हवेज्जा। सोऽणंतभागभइओ सव्वागासे न माएज्जा // 1249 // जह नाम कोइ मेच्छो नगरगुणे बहुविहे विजाणंतो। न चएइ परिकहेउं उवमाए तहिं असंतीए // 1250 // 11