________________ जह निम्मले पडे पंडरम्मि सोभा विणा वि रागेण। सुंदररागे वि कए सुंदरतरिया हवइ सोभा // 1215 // एवमिह निम्मले दरिसणम्मि सोभा विणा वि सीलेणं / सीलसहायम्मि उ दरिसणम्मि अहिया हवइ सोभा भट्टेण चरित्ताओ सुट्टतरं दंसणं गहेयव्वं / सिझंति चरणहीणा, दंसणहीणा न सिझंति // 1217 // एत्थ य संका कंखा वितिगिच्छा अन्नदिट्ठियपसंसा / परतित्थिओवसेवा पंच [उ] हासेंति सम्मत्तं // 1218 // संकादिदोसरहितं जिणसासणकुसलयादिगुण[? जुत्तं] / एयं तं जं भणितं मूलं दुविहस्स धम्मस्स . // 1219 // जिणसासणे कुसलता 1 पभावणारऽऽयतणसेवणा 3 थिरता 4 / भत्ती 5 य गुणा सम्मत्तदीवगा उत्तमा पंच . // 1220 // सव्वण्णू सव्वदरिसी य वीयरागा य जं जिणा / तम्हा जिणवरवयणं अवितहमिति भावतो मुणह . // 1221 // सम्मत्ताओ नाणं सियवायसमन्नियं महाविसमं / भावाभावविभावं दुवालसंगं पि गणिपिडगं // 1222 // जं अन्नाणी कम्मं खवेइ बहुयाहि वासकोडीहिं। तं नाणी तिहि गुत्तो खवेइ ऊसासमेत्तेणं . // 1223 // नाणाहितो चरणं पंचहिं समितीहिं तीहिं गुत्तीहिं। . एवं सीलं भणितं जिणेहिं तेलोक्कदंसीहिं : // 1224 // सीले दोन्नि वि नियमा सम्मत्तं तह य होइ नाणं च / तिण्हं पि समाओगे मोक्खो जिणसासणे भणितो // 1225 // असरीरा जीवघणा उवउत्ता दंसणे य नाणे य। . सागारमणागारं लक्खणमेयं तु सिद्धाणं // 1226 // . . . . 150