________________ उप्पण्णम्मि अणंते नट्ठम्मि य छाउमथिए नाणे। राईए संपत्तो महसेणवणं तुं उज्जाणं // 1096 // अमर-नर-रायमहिओ पत्तो धम्मवरचक्कवट्टित्तं / बीयम्मि समोसरणे पावाए मज्झिमाए उ // 1097 // एकारस वि गणहरा सव्वे उन्नयविसालकुलवंसा / पावाए मज्झिमाए समोसढा जण्णवासम्मि // 1098 // पढमेत्थ कुंभसेणो नामेणं गणहरो महासत्तो / वज्जरिसभसंघयणो चोद्दसपुव्वी महावीरो // 1099 // वइसाहसुद्धएक्कारसीए तह पढमपोरिसीए उ। हत्थुत्तरबय(? व)करणे गणिपिडगसभाणिए. अत्थं (?) / / 1100 // एवं तित्थुप्पत्ती दससु वि वासेसु होइ नायव्वा / एक्कारस य गणहरा नव य गणा तस्स एमेव // 1101 // सोहिय संववहारो सब्भावो गरुयया खमा सच्वं / आउग-उच्चत्ताइं दससु वि वासेसु वटुंति .. // 1102 // चंदसमा आयरिया, खीरसमुद्दोवमा उवज्झाया / साहू साहुगणा वि य, समणीओ समियपावाओ // 1103 // ससिलेह व्व पवत्तिणि, अम्मा-पियरो य देवयसमाणा। माइसमा वि य सासू, ससुरा वि य पितिसमा हु तया . // 1104 / / धम्माधम्मविहन्नू विणयन्नू सच्च-सोयसंपन्नो। . गुरु -साहुपूयणरओ सदारनिरतो जणो तइयाः // 1105 // अप्प(? ग्घ)इ य सविण्णाणो, धम्मे य जणस्स आयरो तइया / विज्जापुरिसा पुज्जा, धरिज्जइ कुलं च सीलं च // 1106 // एवं कुसुमसमिद्धे जणवयवंसम्मि विहरते भगवं / नवसु वि वासेसेवं विहरेंति जिणा, जिणा बेंति // 1107 // - .. . 140