________________ जह जह वड्डति कालो तह तह वटुंति रूव-सोभग्गा। जस कित्ति सील लज्जा नर-नारिंगणाण रिद्धीओ // 1014 // हलकरिसणकम्मत्ता सुवण्ण-मणि-रयण-कंस-दूसा वि / भोयण-गंधविहीओ वटुंती नरगणाण तहिं // 1015 // दुद्ध दही नवणीयं घयं च तेल्लं च होहिती रम्म। महु-मज्ज-भोयणाई वटुंती नरगणाण चिरं // 1016 // पढमो उ कुलगराणं नामेणं विमलवाहणो तइया। . जातीसरो उ राया काही कुल-रायधम्मे उ // 1017 // एवं सव्वे काहिति सम्मुती कुलगरो उ सत्तमतो। वेयड्डगिरिसमीवे पुंडम्मि य जणवदे रम्मे // 1018 // नगरम्मि सयदुवारे होही रांया उ सम्मुतीनामो। सव्वकलाणं णिहसो सव्वपयाणं च वुड्डिकरो // 1019 / / हय-गय-वरजोहजुतो हेलाविद्दवियदरियपडिवक्खो। गरुयपरक्कमपयडो वेसमणसमाणविभवो य // 1020 // उत्तमरूवसुरूवो उत्तमविनाण-नाणसंपन्नो / वज्जरिसभसंघयणो इंदीवरलोयणो राया // 1021 // होही भद्दा पत्ती सुवण्णवण्णा वराणणा सुभगा। पढमिल्ले संघयणे चउसट्ठिकलाण गहियत्था // 1022 // उस्सप्पिणीइमीसे बीतिसमाए उ वण्णियं किंचि। इगवीससहस्साई बीओ अरगो उ नायव्वो // 1023 // दूसमसुसमाकालो उदहिसमाणाण कोडिकोडीओ। जिण-चक्कि-दसाराणं किंचि समासं पवक्खामि // 1024 // नगरम्मि सतदुवारे सम्मुइरायस्स भारिया भद्दा। . सयणिज्जे सुहसुत्ता चोद्दस सुमिणे उ पेच्छिहिति // 1025 // 142