________________ जातं खु सुहविहारं कुसुमसमिद्धं इहं भरहवासं / तो जो कुणिमं खाहिइ अहं सो वज्जणिज्जो उ // 990 // नवसु वि वासेसेवं भणितं वीरेण आयमेसं तु / / रायगिहे गुणसिलए गोयममादीण सीसाणं // 991 // एवं कमेण पुणरवि दससु वि वासेसु दुस्समा एसा। इगवीससहस्साई वासाणं वट्टए जाव : // 992 // एवं संघयणाई बलविरियाई तहेव आउं च। सद्द-रस-रूव-गंधा फासा अहियं पवटुंति // 993 // पीती पणओ नेहो सब्भावो सोहियं च विणओ य। .. लज्जा य पुरिसकारो जसो य कित्ती य वखंति // 994 // जह जह वड्डइ कालो तहा तहा रूव-सीलपरिवेढी। दो रयणीओ मणुया आरंभे, अंते'छ च्चेव // 995 // एव परिवड्डमाणे लोए चंदे व्व धवलपक्खम्मि। तेसिं मणुयाण तया सहस च्चिय होइ मणसुद्धी // 996 // विज्जाण य परिवेढी पुप्फ-फलाणं च ओसहीणं च / आउय-सुह-रिद्धीणं संठाणुच्चत्त-धम्माणं // 997 // दूसमकालो होही एवं एयं जिणो परिकहेइ। दूसमसुसमकाले पवट्टमाणं अतो बेति // 998 // पव्वय-नदीण वुड्डी, वुड्डी विनाण-नाण-सोक्खाणं / छण्ह वि रिऊण वुड्डी दससु वि वासेसु बोधव्वा // 999 // सणसत्तरसं धण्णं फलाई मूलाई सव्वरुक्खाणं। . खज्जूर-दक्ख-दाडिम-फणसा तउसा य वखंति // 1000 // विहरंति भरहवासं नर-नारीओ जहिच्छियं रम्म। . दससु वि वासेसेवं चउप्पदा पक्खिणो चेव / || 1001 // 140