________________ सी-उण्हपउलिएहिं वित्ती तेसिं तु होइ मच्छेहिं / इगवीससहस्साई वासाणं निरवसेसा उ // 978 // सी-उण्हपउलिएहिं वित्ती तेसिं तु होइ मच्छेहिं / बायालीससहस्सा वासाणं निरवसेसा उ // 979 // अवसप्पिणीए अद्धं अद्धं उस्सप्पिणीए तहिं(? ह) होइ। एयम्मि गते काले होर्हिति उ पंच मेहा उ // 980 // पुक्खलसंवट्टो 1 वि य खीरोद 2 घतोय 3 अमयमेहो 4 य / पंचमओ रसमेहो 5 सव्वे दसवरिसखेत्ता उ // 981 // एकेको अणुबद्धं(? अणवरयं) वासीहिति सत्त सत्त दिवसाइं। पंचत्तीसं(? से) दिवसे वद्दलिया होहिती सोमा // 982 // पढमो उ निव्ववेहिति, धण्णं बितिओ करेहिई मेहो। तइओ नेहं जणयइ, ओसहिमादी चउत्थो उ . // 983 // पंचमतो रसमेहो तेसि चिय पुढवि-रुक्खमादीणं। . एवं कमेण जायं धण्णाइगुणेहि उववेयं / . // 984 // उस्सप्पिणिदूसमदूसमाए पत्ताइ चरिमरातीए / वासिहिति सव्वराई महंतर(? य) निरंतरं वासं // 985 // तेण हरिया य रुक्खा तण-गुम्म-लया-वणप्फतीओ य / अमियस्स किरणजोणी पंचत्तीसं अहीरत्ता / . // 986 // हारावलिधवलाहि य अह ते धाराहि आहया संता। आसत्था मणुयगणा चिंतेउं जे अह पयत्ताः // 987 // अच्छेरयं महल्लं अब्भातो पडइ सीयलं उदयं / किं दाई इण्हि काही अण्णं एत्तो य परमत रं? // 988 // तो ते बिलवासिनरा पासित्ता तं महंतसामिद्धि / काहिति इमं सव्वं सव्वे वि समागता संता // 989 // ... . 138