________________ केवलिवयणं सच्चं तित्थोगालीए भाणियं एयं। ताव न छिज्जइ तित्थं जाव मपत्तं तु दुप्पसहं // 918 // विज्जाण य परिहाणी रोहिणिपमुहाण सोलसण्हं पि। . मंडल-मुद्दाऽऽतीणं जह भणिया वीयरागेणं .. // 919 // चुण्णंजणाण हाणी पायपलेवाण ओसहीणं च। / अंतद्धाण-वसीकरण-खग्ग-गोरोयणादीणं // 920 / / मंताण य परिहाणी पसिणावच्चल्लसाणजोयाणं (?) / कलहऽब्भक्खाणाणं वुड्डी एवं जिणा बेंति // .921 // कलहकरा डमरकरा असमाहिकरा अनेव्वुइकरा य। .. होहिंति एत्थ समणा नवसु वि खेत्तेसु एमेव // 922 // दूसमकाले होही एवं एवं जिणा परिकहेंति / एगंतदूसमाए पावतरागं अतो एं(? ए)ति .. // 923 // एवं परिहायमाणे लोगे चंदो व्व कालपक्खम्मि। जे धम्मिया मणुस्सा सुजीवियं जीवियं तेसिं // 924 // दुस्समसुस्समकालो महाविदेहेण आसि परितुल्लो / सो उ चउत्थो कालो वीरे परिनिव्वुते छिनो // 925 // तिहिं वासेहिं गतेहिं गएहिं मासेहि अद्धनवमेहिं / एवं परिहायंते दूसमकालो इमो जातो // 926 // एयम्मि अइक्कंते वाससहस्सेहि एक्कवीसाए। फिट्टिहिति लोगधम्मो अग्गीमग्गो जिणऽक्खातो // 927 // होही हाहाभूतो [य] दुक्खभूतो य पावभूतो य। . कालो अमाइपुत्तो गोधम्मसमो जणो पच्छा // 928 // खर-फरुसधूलिपउरा अणि?फासा समंततो वाया। वाहिति भयकरा वि अ दुव्विसहा सव्वजीवाणं // 929 // 134