________________ धूमायंति दिसासो रओ-सिला-पंक-रेणुबहुलाओ। भीमा भयजणणीओ समंततो अंतकालम्मि // 930 // अह दूसमाए तीसे वीतिकंततए चरिमसमयम्मि / वासीहि सव्वरत्तिं सुमहंत निरंतरं वासं // 931 // तेण हरिया य रुक्खा तण-गुम्म-लया-वणप्फतीओ य। अग्गिस्स य किर जोणी तमहोरत्तं पडिस्सिहिति // 932 // एते सणियं सणियं सव्वे वि य पव्वया न होहिंति / वेयड्डो रयणड्डो नवरं किच्छाए दीसिहिति // 933 // चंदा मुतिहिति हिमं, अहिययरं सूरिया उ तविहिति / जेण इहं नर-तिरिया सी-उण्हहया किलिस्संति // 934 // अहियं होही सीतं, अहियं उण्हा वि होहिती सततं / होही तइया लोगो मुम्मुरनिउरुंबसारिच्छो . // 935 // होही सुसिरा भूमी पडतइंगालमुम्मुरसरिच्छा। अग्गी हरियतणाणि य नवरं सो तीहि सोविही(?) . // 936 // उदएणं वूढो सो उ जणो पुप्फ-फल-पत्तपरिहीणो। कलुणकिवणो वराओ होहिति उव्वाहुलो दर्दू // 937 // चिक्खल्लकालियाओ चिक्खल्लपिसाइयाओ महिलाओ। ववगतनियंसणाओ नवरं केसेहिं पडिवज्जा // 938 // भेसुंडियरूवगुणा विवनदेहच्छवी निरभिरामा। . .... नग्गा विगयाभरणा बीभच्छा दीहरोम-ना // 939 // कुणिम-सिरीसव-कद्दम-मुत्त-पुरीसासिणो मडहदेहा / हण-छिंद-भिंदपउरा दोग्गतिगामी य होर्हिति // 940 // पुणरवि अभिक्खभिक्खं अरसं विरसं च खार खट्टं च। अग्गि-विस-असणिसहितं मुतिहिन्ति(मुइंति) मेहा जलमणिहूँ // 941 .. . 135