________________ विवरीयलोगधम्मे परिहायंते पणट्ठमज्जाए। सक्कार-दाणगिद्धा कुहम्मपासंडिणो जाता .. // 894 // होहिंति य पासंडा मंतक्खर-कुहगसंपउत्ता य / मंडल-मुद्दाजोगा वस-उच्चाडणपरा य दढं // 895 // तेहिं मुसिज्जमाणो लोगो सच्छंदरइयकव्वेहिं / अवमग्गि(? नि)यसब्भावो जातो अलितो य पलितो य // 896 // होहिति साहुणो वि य सपक्खनिरवेक्ख निद्दया धणियं / समणगुणमुक्कजोगी केई संसारछेत्तारो // 897 // हितिहिति गुरुकुलवासो, मंदा य मती य समणधम्मम्मि / एयं तं संपत्तं 'बहुमुंडे अप्पसमणे य' // 898 // रह गावि सिला सत्थो गोयममादीण वीरकहिया उ। कप्पद्रुम सीहा वि य तित्थोगालीए दिटुंता ... // 899 // लुद्धा य साहुवग्गा संपति उप्फालसूयगा बहुगा / अलियवयणं च परं धम्मो य जितो अहम्मेण // 900 // लुद्धा य पुहइपाला पयतीउप्फल्लसूयगा बहुला / अलियवयणं च परं धम्मो य जितो अहम्मेण // 901 // गामा मसाणभूता, नगराणि य पेयलोयसरिसाणि / दाससमा य कुटुंबी, जमदंडसमा य रायाणो // 902 // राया भिच्चे, भिच्चा य जणवए, जणवए य रायाणो / खायंति एक्कमेकं मच्छा इव दुब्बले बलिया // 903 // जे अंता ते मज्झा, मज्झा य कमेण होंति पंच(?त)ता। अपडागा इव नावा डोलंति समंततो देसा // 904 // पगलितगो-महिसाणं उत्तत्थाणं पलायमांणाणं / अजहन्निया पवित्ती उच्चक्खाणं जणवयाणं (?) // 905 // 132