________________ चंदसमा आयरिया, अम्मा-पितरो य देवतसमाणा। मायसमा वि य सासू, ससुरा वि य पितिसमा आसि // 882 // धम्माऽधम्मविहन्नू विणयण्णू सच्च-सोयसंपण्णो / गुरु-साहुपूयणरतो सदारनिरतो जणो तइया // 883 // अप्प(? ग्घ)इ य सविण्णाणो, धम्मे य जणस्स आयरो तइया / विजापुरिसा पुज्जा, धरिज्जइ कुलं च सीलं च // 884 // भंग-तासविरहितो डमरुलोल-भय-डंडरहितो य। दुब्भिक्ख-ईति-तक्कर-करभर[य]विवज्जिओ लोगो // 885 // रिद्धिस्थिमियसमिद्धं भारहवासं जिणिंदकालम्मि। बहुअच्छेरयपुण्णं उसभातो जाव वीरजिणो . // 886 // दससु वि वासेसेवं दस दस अच्छेरगाइं जायाई। ओसप्पिणीए एवं तित्थोगालीए भणियाई // 887 // उवसग्ग 1 गब्भहरणं 2 इत्थीतित्थं 3 अभब्विया परिसा 4 / कण्हस्स अवरकंका 5 अवयरणं चंद-सूराणं 6 . // 888 // हरिवंसकुलुप्पत्ती 7 चमरुप्पाओ 8 य अट्ठसय सिद्धा 9 / अस्संजयाण पूया 10 दस वि अणंतेण कालेणं // 889 // लोगुत्तमपुरिसेहिं चउपण्णाए इहं अतीएहिं / सुबहूहिं केवलीहि य मणपज्जव-ओहिनाणे(णी)हिं // 890 // बहुरिद्धिप्पत्तेहि य मइ-सुयनाणे(णी)हि पुहइसारेहि। कालगतेहिं बुहेहिं मोक्खं विण्णाणरासीहिं : // 891 // तेहि य समतीएहिं भरहे वासम्मि राय-दोसेहिं / अप्पोदतो व्व वप्पो जातो संभिण्णमज्जादो // 892 // जह जह वच्चति कालो तह तह कुल-सील-दाणपरिहीणो। .. अहियं अहम्मसीलो सच्चवयणदुल्लभो लोगो // 893 // ... 131