________________ // 870 // इच्चेयं गणिपिडगं निच्चं दव्वट्ठयाए नायव्वं / पज्जाएण अणिच्चं, निच्चाऽनिच्चं च सियवादो जो सियवायं भासति पमाण-नयपेसलं गुणाधारं / भावेइ मणेण सया सो हु पमाणं पवयणस्स // 871 // जो सियवायं निंदति पमाण-नयपेसलं गुणाधारं। भावेण दुट्ठभावो न सो पमाणं पवयणस्स // 872 // ओसप्पिणीइमीसे चत्तारि अपच्छिमाइं इह भरहे। अंतम्मि दूसमाए संघस्स चउव्विहस्सावि . // 873 // तेसु य कालगतेसुं तद्दिवसं चेव होहिइ अधम्मो। . इय दूसमाए काले वच्चंते पावभूइटे . // 874 // सामाइय समणाणं महाणुभावाण चेइयायारो। सव्वा य गंधजुत्ती दोसु वि संझासु नासिहिति // 875 // चक्कमिउं वरतरयं तिमिसगुहाते वमंधयाराए / न य तइया मणुयाणं जिणंवरतित्थे पण?म्मि // 876 // पावा पावायारा निद्धम्मा धम्मबुद्धिपरिहीणा / रोद्दा कुणिमाहारा नरा य नारी य होर्हिति // 877 // जह जह झिज्जइ कालो तह तह सज्झाय-झाणकरणाई। झिज्जति जाव तित्थं भणियं सज्झायवंसो य // 878 // जणवयवंसं पत्तो सज्झाए रायवंसआहारं (?) / सुव्वउ जिणवरभणियं तित्थोगालीए संखेवं // 879 // रिद्धिस्थिमियसमिद्धं भारहवासं जिणिंदकालम्मि। . बहुअइसयसंपण्णं सुरलोगसमं गुणसमिद्धं गामा [य] नगरभूया, नगराणि य देवलोगसरिसाणि / रायसमा य कुटुंबी, वेसमणसमा य रायाणो // 881 // 130 // 880 //