________________ // 846 // * // 847 // छ? चउत्थं च तया होही उक्कोसयं तव्वोकम्मं / [? दुप्पसहो आयरिओ] काही किर अट्ठमं भत्तं सो दाहिणलोगवती इंदो धम्माणुरागरत्तो य / आगंतूणं तइया पुणो पुणो वंदते संघं गुणभवणगहण ! सुयरयणभरिय ! दंसणविसुद्धरच्छगा!। संघनगर ! भदं ते. अक्खंडचरित्तपागारा ! . // 848 // भदं सीलपडागूसितस्स तवनियमतुरगजुत्तस्स / संघरहस्स भगवतो सज्झायसुनंदिघोसस्स // 849 // संजम-तवतुंबारयस्स नमो सम्मत्तपारिअल्लस्स। अप्पडिचक्कस्स जतो होउ सता संघचक्कस्स // 850 // कम्मजलविसोहिसमुब्भवस्स सुयरयणदीहनालस्स। पंचमहव्वयथिरकण्णियस्स गुणंकेसरालस्स // 851 // सावगजणमहुयरिपरिवुडस्स जिणसूरतेयबुद्धस्स / संघपउमस्स भदं समणगणसहस्सपत्तस्स . // 852 // नवसु वि वासेसेवं इंदो थोऊण समणसंघं तु / ईसाणो वि तह च्चिय खणेण अमरालयं पत्तो // 853 // दसवेतालियअत्थस्स धारतो संजओ तवाऽऽउत्तो / समणेहिं विप्पहीणो विहरीही एक्कगो धीरो // 854 // अद्वैव त गिहवासे, बारस वरिसाइं तस्स परियातो। एवं वीसतिवासो दुप्पसहो होहिही धीरो // 855 // छज्जीवकायहियतो सो समणो संजमे तवाउत्तो। . भत्ते पच्चक्खाते गच्छी अमरालयं धीरो // 856 // अट्ठ य वरिसे जम्मं(?म्मा) बारस वरिसाई होइ परियाओ। कालं काहि य तइया अट्ठमभत्तेण दुप्पसहो' // 857 // 128