________________ उप्पायणीहि अवरे, केई विज्जाय उप्पइत्ताणं / विउरुव्विहि विज्जाहिं दाइं काहिंती उड्डाहं // 798 // मंतेहि य चुण्णेहि य कुच्छियविज्जाहि तह निमित्तेणें / काऊणं उवघायं भमिर्हिति अणंतसंसारे" // 799 // अह भणइ थूलभद्दो 'अन्नं रूवं न किंचि काहामो। इच्छामि जाणिउं जे अहयं चत्तारि पुव्वाई' : // 800 // 'नाहिसि तं पुव्वाइं सुयमेत्ताइं च उग्गहाहिति। दस पुण ते अणुजाणे, जाण पणट्ठाई चत्तारि' . // 801 // एतेण कारणेण उ पुरिसजुगे अट्ठमम्मि वीरस्स। ... सयराहेण पणट्ठाइं जाण चत्तारि पुव्वाइं // 802 // अणवट्ठप्पो य तवो तवपारंची य दो वि वोच्छिना। चोद्दसपुव्वधरम्मी, धरति सेसा उजा तित्थं // 803 // तं एवमंगवंसो य नंदवंसो य मझ्यवंसो य / सयराहेण पणट्ठा समयं सज्झायवंसेण // 804 // पढमो दसपुव्वीणं सयडालकुलस्स जसको धीरो / नामेण थूलभद्दो अविहिंसाधम्मभद्दो त्ति // 805 // नामेण सच्चमित्तो समणो समणगुणनिउणचिचइओ। होही अपच्छिमो किर दसपुव्वी धारओ धीरो // 806 // एयस्स पुव्वसुयसायरस्स उदहि व्व अपरिमेयस्स / सुणसु जह अथ(?इत्थ) काले परिहाणी दीसते पच्छा // 807 // पुव्वसुयतेल्लभरिए विज्झाए सच्चमित्तदीवम्मि। . धम्मावायनिमिल्लो होही लोगो सुयनिमिल्लो वोलीणम्मि सहस्से वरिसाणं वीरमोक्खगमणाओ। उत्तरवायगवसभे पुव्वगयस्सा भवे छेदो // 809 // 124 // 808 //