________________ तं वयणं सोऊणं तातो अंचियतणूरुहसरीरा / संपत्थियाओ तत्तो जत्तो सो थूलभद्दरिसी . // 762 / / जह सागरो व्व उव्वेलमतिगतो पडिगतो सयं ठाणं। संपलियंकनिसन्नो धम्मज्झाणं पुणो झाइ // 763 // दुपु(? उग्घु)?महुरकंठं सो परियट्टेइ ताव पाढमयं / भणियं च नाहिं 'भाउग ! सीहं दट्टण ते भीया' // 764 // सो वि य पागडदंतं दरवियसियकमलसच्छह हसिउं। भणइ य 'गारवयाए सुयइड्डी दरिसिया य मए' // 765 // तं वयणं सोऊणं तातो अंचियतणूरुहसरीरा / पुच्छंति पंजलिउडा वागरणऽत्थे सुणिउणऽत्थे // 766 // इयरो वि य भगिणीओ वीसज्जेऊण थूलभद्दरिसी। उचियम्मि देसकाले सज्झायमुवट्ठिओ काउं . // 767 // अह भणइ भद्दबाहू 'अणगार ! अलाहि एत्तियं तुझं / परियट्टतो अच्छसु एत्तियमेत्तं चियत्तं मे' // 768 // अह भणइ थूलभद्दो पच्छायावेण तावियसरीरो / "इड्डीगारवयाए सुयविसयं जेण अवरद्धं // 769 // न वि ताव मज्झ मण्णुं जह मे ण समाणियाइं पुव्वाई। अप्पा हु मए अवरहितो त्ति खलियं खमे मज्झं // 770 // एतेहि नासियव्वं सए वि णाए वि जह(?) सासणे भणियं / जं पुण मे अवरद्धं एयं पुण डहति सव्वंगं . // 771 // वोच्छंति य मयहत(?हय)रया अणागता जे य संपतीकाले। गारवियथूलभद्दम्मि नाम नट्ठाई पुव्वाइं" // 772 // अह विण्णविति साहू सगच्छया करिय अंजलिं सीसे / "भद्दस्स ता पसीयह इमस्स एक्कावराहस्स // 773 // . 121