________________ // 690 // // 691 // // 692 / / // 693 // // 694 // // 695 // तस्स य पुत्तं दत्तं इंदो अणुसासिऊण जणमझे। काऊण पाडिहेरं गच्छइ समणे पणमिऊणं भदं घितिवेलापरिगयस्स सम्झायसलिलपुण्णस्स / अक्खोभस्स भगवओ संघसमुदस्स रुंदस्स इंदभुयापच्चइयं इंदाणुमयं सधम्मजणियं च / सव्वम्मि भरहवासे होही समणाण सक्कारो देवो व समणसंघो पुज्जीही सव्वनगर-गामेसु / ऊणा वीस सहस्सा अणोवमो होहि सकारो एवं चिय वासेसुं नवसु वि होहिंति सक्कओ राया। एगसमएण दस वी सक्कीसाणा उ काहिति दत्तो वि महाराया जिणाययणमंडियं वसुमतिं तु / कारेही सो सिग्धं दिवसे दिवसे य सक्कारं . तस्स सुओ जियसत्तू तस्स वि य सुतो उ मेघघोसो त्ति / अण्णोण्णरायवंसा जाव विमलवाहणो राया एवं तु मए भणिओ रातीणं वंससंभवो जाव।। जाव उ दुप्पसहो वि य, एत्तो वोच्छामि सुयहाणि चउसट्ठीवरिसेहिं नेव्वाणगतस्स जिणवरिंदस्स। साहूण केवलीणं वोच्छेतो जंबुणामम्मि मण परमोहि पुलाए आहारग खमग उवसमे कप्पे। संजमतिय केवलि सिज्झणा य जंबुम्मि वोच्छिना नवसु वि वासेसेवं मण-परमोही-पुलागमादीणं / समकालं वोच्छेओ तित्थोगालीए निद्दिट्ठो चोद्दसपुव्वच्छेओ वरिससते सत्तरे विणिट्ठिो / साहुम्मि थूलभद्दे अन्ने य इमे भवे भावा - . . . 115 // 696 / / // 697 // // 698 // // 699 // // 700 // // 701 //