________________ केवलिणो तिउण जिणे तित्थपणामं च मग्गओ तेसि / मुणिमादी वि नमंता वयंति सट्टाणसट्टाणं // 438 // भवणवती जोइसिया बोधव्वा वाणमंतरसुरा य। वेमाणिया य मणुया पयाहिणं जं च निस्साए // 439 // पविसंति-स-महियंदा उत्तरदारेण कप्पवासिसुरा। राया नर-नारिगणा.जे वि य देवा वणयराणं . . // 440 // कप्पवइअंगणाओ अणगारा वि य पुरथिमिल्लेणं / पविसंती नाणामणिकिरणोदारेण दारेणं // 441 // आगच्छंती अइसुंदरेण दारेण दक्खिणेणं तु / भवणवइ-वाणमंतर-जोइसियाणं च देवीओ // 442 // जे भवणवई देवा अवरद्दारे तओ [? य] पविसंति / तेणं चिय जोइसिया देवा दइयाजणसमग्गा // 443 // एकेकीय दिणाए तिगं तिगं होइ सन्निविटुं तु / आइ-चरिमे विमिस्सा थी-पुरिसा सेस पत्तेयं एंतं महिड्डियं पणिवयंति ठियमवि वयंति पणमंता / न वि जंतणा, न विकहा, न परोप्परमच्छरो, न भयं बीयम्मि होति तिरिया, तइए पागारमंतरे जाणा। . पागारजढे तिरिया वि हुंति पत्तेय मिस्सा वा . // 446 // तित्थपणामं काउं कहेइ साहारणेण सद्देणं / सव्वेसि सन्नीणं जोयणनीहारिणा भयवं सपडिक्कमणो धम्मो पुरिमस्स य पच्छिमस्स य जिणस्स / मज्झिमयाण जिणाणं कारणजाए पडिक्कमणं जो जाहे आवज्जइ साहू अण्णयरगम्मि ठाणम्मि। सो ताहे पडिक्कमई मज्झिमयाणं जिणवराणं // 449 // 4 // 444 // // 445 // // 447 // // 448 //