________________ बावीसं तित्थयरा सामाइयसंजमं उवदिसंति / छेओवठवणं पुण वयंति उसभो य वीरो य . // 450 // एवं नवसु वि खेत्तेसु पुरिम-पच्छिम[ग]-मज्झिमजिणाणं / वोच्छं गणहरसंखं जिणाण, नामं च पढमस्स // 451 // उसभजिणे चुलसीती[य] गणहरा उसभसेणआदीया 1 / अजियजिणिंदे नउतिं तु, सीहसेणो भवे आदी 2 // 452 // चारू य संभवजिणे, पंचाणउती य गणहरा तस्स 3 / पढमो य वज्जनाभो अभिनंदण, तियऽधिकसयं तु 4 // 453 // सोलसयं सुमइस्स उ, चमरो चिय पढमगणहरो तस्स 5 / सज्जो य सुप्पभजिणे, सयमेक्कारं गणहराणं 6 // 454 // होइ सुपास वियब्भो, पंचाणउती य गणहरा तस्स 7 / . दिण्णो य पढमसिस्सो, तेनउई हुंति चंदाभे 8 // 455 // सुविहिजिणे वाराहो, चुलसीति गणहरा भवे तस्स 9 / / नंदो य सीयलजिणे, एक्कासीति मुणेयव्वा 10 // 456 / / सेज्जंसे सत्तत्तरि, पढमो सिस्सो य गोत्थुभो होइ 11 / छवट्ठी य सुभूमो बाधव्वा वासुपुज्जस्स 12 . // 457 / / विमलजिणे छप्पन्ना गणहर, पढमो य मंदरो होइ 13 / पण्णासाऽणंतजिणे, पढमस्सिस्सो जसो नाम 14 // 458 // धम्मस्स होइ रिटो, तेयालीसं च गणहरा तस्स 15 / चक्काउधो य पढमो, चत्तालीसा य संतिजिणे 16 कुंथुस्स भवे संबो, सत्तत्तीसं च गणहरा तस्स 17 / / कुंभो य अरजिणिदे, तेत्तीसं गणहरा तस्स 18 // 460 // भिसगो मल्लिजिणिंदे, अट्ठावीसं च गणहरा तस्स 19 / मुणिसुव्वयस्स मल्ली, अट्ठारस गपहरा तस्स 20 // 461 // // 459 // . . . 85