________________ // 430 // बेटुंड्राइं(?) सुरभि जल-थलयं दिव्वकुसुमनीहारिं / पयरेंति समंतेणं दसद्धवण्णं कुसुमवासं // 426 // तत्तो य समंतेणं कालागुरु-कुंदुरुक्कमीसेणं / गंधेण मणहरेणं [2 च] धूवघडियं विउव्वेति // 427 // उक्किट्ठिसीहनादं कलयलसद्देण सव्वओ सव्वं / तित्थगरपायमूले करेंति देवा निवयमाणा // 428 // अब्भंतर-मज्झ-बहिं विमाण-जोइसिय-भवणवासिकया। पागारा तिन्नि भवे रयणे कणगे य रयए य // 429 // मणि-रयण-हेमया वि य कविसीसा, सव्वरयणिया दारा / सव्वरयणामय च्चिय पडाग-धय-तोरणविचित्ता चेइदुम-पेढ-छंदग-आसण-छत्तं च चामराओ य। . जं चऽण्णं करणिज्जं करेंति तं वाणमंतरिया // 431 // सूरो(?सूरुद)य पच्छिमाए ओगाहंतीए पुव्वओ एति। / दोहि पउमेहि पाया मग्गेण य होंति सत्तऽन्ने // 432 / / आयाहिण पुव्वमुहो तिदिसिं पडिरूवगा उ देवकया। जेट्ठगणी अण्णो वा दाहिणपासे अदूरम्मि . // 433 / / जे ते देवेहिं कया तिदिसि पडिरूवगा जिणिदाणं / तेसि पि तप्पभावा तयाणुरूवं हवई रूवं सीहासणे निसन्ना रत्तासोगस्स हे?ओ वीरा। . सक्का. सहेमजाले गेण्हंति सयं तु छत्ताइं . // 435 // दो होंति चामराओ सेयाओं मणिमएहिं दंडेहिं / ईसाण-चमरसहिया धरैति ते जिणवरिंदाणं // 436 // तित्थाइसेस संजय, देवी वेमाणियाण, समणीओं। भवणवइ-वाणमंतर-जोइसियाणं च देवीओ // 437 // . // 434 //