________________ // 468 // // 469 // // 470 // // 471 // // 472 // // 473 // सारस्सयाइयाणं अंतो उववज्जिऊण देवाणं / / जं जाओ मि दुहत्थं तिहा वि निंदामि तमणत्थं गेविजऽणुत्तरेसुं उववन्नेणं जियाण जं दुजें / रइयं मणसा वि तया तस्स उ मिच्छुक्कडं मज्झ नारय-तिरिय-नराऽमरजीवाणं खामणा कया एवं / इण्हेिं सयणे सव्वे दिट्ठाऽऽभट्टे य खामेमि माया-पियरो भाया पुत्ता मित्ता य भगिणि-धूयाओ। भज्जा पई य सुण्हा सासू ससुराइया सयणा . अन्ने य बंधु-संबंधि-दायगा कडुय-फरुसविद्धेहिं / वयणेहिं संतविया दूमिय अवमाणिया विरसं निब्भच्छिया य तज्जिय दूहविया जे मए अयाणेणं / ते सम्म खामेमि, ते वि य सयणा मेम खमंतु पेसुन्नं जं विहियं, वसणं अभिणंदियं मए जं वा / मच्छरभावो व कओ, रहस्संभेओ व जो रइओ अब्भक्खाणं दिन्नं, जं वा मम्माण भासणं विहियं / साहज्जं वा न कयं सत्तेणं दुहियसयणेसु आभव्वं वा भग्गं जं मे दंडाविया व रायकुले / अवलवियं वा दविणं, विणओ न कओ महल्लेसु भासित्तु वा न दिन्नं, आसाभंगो व जं च मे विहिओ। दिज्जंतं व निसिद्धं, तं सव्वं खमउ सयणजणो अन्नेसुं पि भवेसुं जं किंचि वि विप्पियं मया विहियं / तं खमउ मज्झ सयणो, इण्डिं मे खामणाकालो इय खामिय सयणजणं भत्तिब्भरनिब्भरो विर्णयपणओ / खामेइ सयलसंघं संवेगुल्लसियमुहकमलो // 474 // // 475 // // 476 // // 477 // // 478 // // 479 // 40