________________ // 420 // // 421 // // 422 // // 423 // // 424 // // 425 // गिद्ध-भिलुंग-हुलाहिय-सिंचाणाईसु कूरखयरेसु / उववज्जिय जे वहिया जीवा खामेमि ते सव्वे उरपरिसप्पत्ते वि य अहि-अयगर-गोणसाइसु गएणं / डसिया गसिया जे के वि पाणिणो ते खमावेमि गोहा-नउलाईणं भुयपरिसप्पाण. जाइमुवलब्भ / जे के वि मए पाणा दूहविया ते खमंतु ममं वंताइसु चलिएसुं मुच्छिममणुयत्तणं उवगएणं / मिच्छत्ताईहेऊहि अज्जियं जं तयं गरिहे . अह गब्भयमणुयत्ते पत्ते जं पावकम्ममायरियं / तिविहेणं तं निंदे पच्छायावेण संजुत्तो नरभावं लहिऊणं आसवपणएण तह कसाएहि / मिच्छेण तिदंडेहिं जं रइयं तं तिहा निदे अमणुन्न-मणुन्नेसुं सद्देसुं सोयकरणसत्तेण / राग-द्दोसा जं क्रम्ममज्जियं तमिह निंदामि रागो दोसो य कओ इट्टाणिद्वेसु जो य रूवेसु / चक्खिंदियमूढेणं सो मे तिविहेण वोसिरिओ घाणगढिएण पूयस-कत्थूरिमिगाइए य जे सत्ते / मण-वइ-काएहि पुरा वहिए व वहाविए खामे भवभयमगणंतेणं रसणिदियमुच्छिएण जे वहिया / मच्छ-मिगाई जीवा मण-वइ-काएहिं ते खामे फासिंदियवसगेणं जमज्जियं पावकम्म मे तइया / . परजुवइविलोयणसंगएण सव्वं तयं निदे - धम्मत्थं जे वहिया जीवा जनेसु मिच्छभावेण / तह अन्नाणवसेण व जे निहया ते वि खामेमि / // 426 // // 427 // // 428 // // 429 // // 430 // // 431 // 38