________________ पणएरनवएसुं, अकम्मभूमीसु माणवे निहए। छपन्नंतरदीविगमणुए विणिवाइए खामे // 396 // इय सव्वमाणवाणं कयं मए खामणं, विगयरागो / अह चउविहदेवाणं तं वित्थरओ करिस्सामि // 397 // असुरकुमाराईणं भवणवईणं दसण्ह जाईणं / जं किंचि मए विहियं पडिकूलं तस्स खामेमि // 398 // तह अंबाईपरमाहम्मियदेवे य भवणवइभए / पनरसविहे वि य मए दुहम्मि जे ठविय ते खामे // 399 // अप्पड्डिय-महड्डियवणयरभेयाण सोलसण्हं पि / जमणिटुं किंचि कयं तमहं गरिहामि निस्सेसं // 400 // तह अन्नजंभगाई दसविह जे केइ वंतरसुरा वि / वेराणुबंधवसओ पयाविया ते वि खामेमि // 401 // चंदा सूरा य गहा नक्खत्ता तारगा य जोइसिया / गइ-ठिइरइयविसेसा अभिंतर-बाहिरा दसहा .. // 402 // जा का वि कया तेसिं बाहा घणराग-दोसदुद्वेणं / संपइ समभावठिओ तं सव्वं ते खमावेमि // 403 / / सोहम्माइदुवालसभेयाण विमाणवासिदेवाणं / / जा का वि कया बाहा मिच्छा मिह दुक्कडं तेर्सि // 404 // पढम-बियकप्पजुयला लंताओ अहोनिवासि किब्बिसिया / तिपलिय-ति-तेरसारा दूहविया जं तयं निंदे // 405 // लोगंतियदेवाणं सारस्सयमाइयाण जं वितहं। रइयं राग-द्दोसा तं निंदे सव्वभावेणं // 406 // नवविहगेविज्जा तह, पणविहऽणुत्तरविमाणगा देवा / / जं मूढेणं आसाइया उ खामेमि तं पि तिहा 34 // 407 //