________________ अन्नाणि जाणि काणि वि जिणआणाबाहिराणि विहियाणि / मिच्छत्तकारणाणि य तेसिं मिच्छुक्कडं इण्डिं .. // 300 // अह दुक्कडगरिहानलझामियकम्मिंधणो पुणो कुणइ / . . . सुकडाणुमोयणं तिव्वसद्धपुलयंचियसरीरो / .: // 301 // चउतीस बुद्धअइसय अट्ठ महापाडिहेर धम्मकहा। तित्थपवत्तणपभिई अणुमोएमि जिणिदाणं // 302 // सिद्धत्तमणंताणि य. वरदंसण-नाण-सुक्ख-विरियाणि / इगतीसं सिद्धगुणे अणुमने सव्वसिद्धाणं // 303 // पंचविहं आयारं देस-कुलाईगुणे उ छत्तीसं / सिस्सेसु अत्थभासणपमुहं सूरीण अणुमोए // 304 // अंगाण उवंगाणं पइन्नसुय-छेय-मूलगंथाणं / उवझायाणं अज्झावणाइ सव्वं समणुमन्ने / // 305 // समिई-गुत्ति-महव्वय-संजम-जइधम्म-गुरुकुलनिवासं / उज्जयविहारपमुहं अणुमोए समण-समणीणं // 306 // सामइय-पोसहाई अणुव्वयाई जिणिंदविहिपूयं / एक्कारपडिमपभिई अणुमन्ने सड्ढ-सड्ढीणं // 307 // जिणजम्माइसु ऊसवकरणं तह महरिसीण पारणए / जिणसासणम्मि भत्तीपमुहं देवाण अणुमन्ने / // 308 // तिरियाण देसविरइं पज्जंताराहणं च अणुमोए / सम्मइंसणलंभं अणुमन्ने नारयाणं पि // 309 // सेसाणं जीवाणं दाणरुइत्तं सहावविणियत्तं / तह पयणुकसायत्तं परोवगारित्त भव्वत्तं // 310 // दक्खिन्न-दयालुत्तं पियभासित्ताइविविहगुणनिवहं / सिवमग्गकारणं जं तं सव्वं अणुमयं मज्झ . // 311 // 26