________________ जोइस-विज्जयसत्थाण सउणसत्थाण कामसत्थाणं / वत्थूविज्जाईणं तह धणुविज्जाइयाणं पि // 276 // लक्खण-छंदो-ऽलंकार-भरहनाडय-पमाण-नीईणं / एमाइकुसत्थाणं निम्माणं तमिह गरिहामि // 277 // जिण-सूरि-वायगाणं संघस्स य जं कया मयाऽवन्ना / सत्तेण धम्मकज्जं जं न, कयं तं पि गरिहामि // 278 // जिणभवणपाडणं बिबभंजणं तह य बिंबगालणयं / बिंब-कलसाइ-पुत्थयविक्किणणं जं च कह वि कयं // 279 // चेइय-गुरुगयदव्वं उविक्खियं भक्खियं च मूढेणं / . आयाणाणं जं लोवणं च विहियं तयं निंदे // 280 // अणायरो कओ जो.य पमाओ अविही य जं। धम्मस्सुप्पाइया खिसा, उस्सुत्तं च पंरूवियं 281 // चरित्ते दंसणे नाणे अइयारो य जो कओ। नालोइओ य मूढेणं पायच्छित्तं च नो कयं // 282 // सव्वहा वितहायारं सरामि न सरामि जं। . . निंदामि तमहं पावं, तस्स मिच्छा मि दुक्कडं // 283 // हरि-करि-करहा वसहा नरनिवहा जुवइ-दविण-गेहाई। आभरण-वत्थमाई अहिगरणकरा मए चत्ता // 284 // तह गामाऽऽगर-नगराऽऽसम-पट्टण-खेड-कब्बड़-मडंबा / दोणमुह-सन्निवेसा निगमा य सरायहाणीया // 285 / / अय-तंब-तउय-सीसागरा य नाणाविहा य आरामा / . जे काराविय रोविय इहऽन्नजम्मे वि ते गरिहे // 286 // खित्तगुलवाडवाडी तह सणखित्ताई गुलियखित्ताई। धम्मत्थं तरुरोवणपमुहं गरिहामि तिविहेणं // 287 // 4