________________ // 36 // // 37 // // 38 // // 39 // // 40 // // 41 // नाणं विणओ किरिया पियवयणं उज्जमो खमा सीलं। एयाई जस्स निच्चं सकंयत्थं जीवियं तस्स निद्दा वत्ता तत्ती भवणं मित्ताणि कोउगं जस्स। अइपन्नस्स वि विज्जा सुविणे वि न संमुहा तस्स उज्जमतुरयारूढो पइदिणपढणं कसं व जो एइ / पावइ जडो वि सो इह पंडिच्चपुरं जयपसिद्धं सव्वरसाणं लवणं धम्मस्स पभावणा जहा सारं / तह गुरुभत्तिं मुत्तुं न हु अन्नं तिहुयणे सारं जिणसासणनवणीयं धम्म रहस्सं इमं परं तत्तं / जीवदया गुरुभत्ती परउवयारु त्ति सव्वमयं सयलो वि गुणकलावो अच्चंतमहग्घदुल्लहसरूवो। . गयनयणं वयणं पिव न सोहए सीलपरिमुक्को मणिमंतमूलियाहिं मूढा जंपंति इह वसीकरणं। . मन्नेऽहं पुण नूणं जीहाविनाणसंभूयं वत्तालो झंखालो बहुबोल्लो होइ इत्थ जो पुरिसो। . उचियं पि तस्स वयणं पायं घिप्पइ न केणावि एयं सोउं कहिउं अहवा को को न पंडिओ एत्थ ? / विप्फुरइ तस्स सिक्खा सुकयं परभवकयं जस्स . इगु मणु सारहि देहु रहु, इंदियतुरय नभंति। .. जीउ चडेविणु जाइं तहिं, जइ कम्माइ भणंति जीव ! पराइयतत्तडिय लांबिय नलिय करेहिं / घरधंधइ पुण मोहियइ अप्पं मणि न धरेहिं अज्जह कल्लु व नीयडउ इहजम्मह परजम्मु / इय जाणंतु वि कई करहिं दुग्गइगमणह कम्मु ? // 42 // // 43 // // 44 // // 45 // // 46 // // 47 // . 271