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________________ सूरयः / 1 // // 3 // // 4 // // 5 // पू.आ.श्रीरत्नसिंहसूरिविरचिताः ॥प्राकृत संवेगामृतपद्धतिः॥ शिष्याः श्रीधर्मसूरीणां, श्रीरत्नसिंहसूरयः / कुर्वते प्राकृतैः पद्यैः, संवेगामृतपद्धतिम् वेरग्गरंगसंगो लग्गइ सव्वंगचंगिमाचंगो। कस्सइ धन्नस्स जए जणयंतो जयजयारावं जिणसासणसव्वस्सं जाणंतो वि हु जई वि सो विरलो। जो संवेगं जंतो पुणो पुणो वहइ रोमंचं जो आममल्लगं पिव भिज्जइ भावणजलेण सव्वंगं / तेणं चिय विनाओ मन्नेऽहं सत्थपरमत्थो जो कूडकवडनडिओ नडो व्व पयुडेइ कोइ रोमंचं / वेरग्गरंगरहियं तं पि हु छेया वियाणंति जं सव्वे वि वियारे सव्वपयारेहिं सव्वया नाउं। भावियमइणो मुणिणो विसएसु घुलंति तं चोज्जं // 6 // जह अब्भगब्भलीणा विज्जुलया झलझलेइ पुणरुत्तं / पायं धम्मे भावो एसो वि हु केसि धन्नाणं // 7 // हा पुत्तो हा घरणी दविणपियासाइवाउलो तह य / मरणभएणं भासंतं पि हु गिण्हइ जहा लोओ ता कह धम्मं सोउं पत्थावो होउ मंदपुनस्स? | : मन्ने तस्स निवुड्डो पुण दुलहो धम्मबोहित्थो दाऊण हासियाई भूयाविद्धो व्व कह वि जं छूढो / .. मंदगुरुमंतियाणं सो दोसो अहव कम्मस्स सट्ठी चिय घडियाओ ठविया धम्मत्थकामभोगेसु / अभयपमा(सा)एण सया जह तह भविया हवहं तुब्भे // 11 // // 8 // // 10 // 28
SR No.004464
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 14
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages330
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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