________________ जइ लिंगमप्पमाणं हविज्ज तो तस्स अविरयस्सेव / सिज्जायरम्मि चिता आहाकम्मेव का जइणो . // 253 // तम्हा एवं देससु रे जिय ! धम्मत्थमप्पणो एवं / सव्वाणं सुत्ताणं विसयविभागो हु दुनेओ // 254 // सुहिएसु य एमाई वयणेसु असंजयाउ बितन्ने / पासत्थाई तं नो जम्हेवं बिंति समयन्नू // 255 // अस्संजयाण परतिस्थियाण कविलाईयाण रागेण / सयणिज्जो वा अम्हं अम्हव्वयदेसिओ व इमे // 256 // एयस्सिमिणा दत्तेण होइ एयस्स चित्तसंतावो / दोसेणेवं दाणं तेसि चिय जाणिमं अत्थं // 257 // संजयविवक्खभूया पासत्थाई असंजया एत्थ / भन्नंती नो अन्ने, अह तं नो, जेण सुत्तमिणं // 258 // जीवेणं असंजय-अविरयएमाइगुणजुओ भंते ! / अण्हाइ पावकम्मं हंता अण्हाइ पडिवयणं . // 259 // जई पुण पासत्थाई असंजया एत्थ होति विनेया / तो कह सम्मत्तस्स उ एस गुणो होज्ज सड्ढाणं // 260 // दुक्खियजीवणुकंपा नयदुक्खी एए किंतु अंधाई ! किंच निसीहे भणिया विरया तह संजया एए // 261 // विरया पासत्थाई इयरे पुण मिच्छदिविणो होन्ति / विरयाविरया सड्ढा इय संजयमाइणो वि भवे // 262 // सुंदरतरं खु भणियं सव्वं समओदहिम्मि रे जीव ! / .. मंदमइगोयरगयं दुनेयं होइ किं बहुणा // 263 // तह देससु संससु तह तह तं कुणसु सव्वणुट्ठाणं / जह समयन्नू जप्पंति न उण समईए उवएसो ' // 264 // 22