________________ दुब्भिगंधमलस्सावी तणु रप्पे सहाणिया / उभओ वाउवहे चेव ते णटुंति न चेइए सड्ढाण पुणो चेइहरं तु जह तह व होउ निप्फन्नं / पूइज्जं तं फलयं मयमेयं आगमन्त्रूणं . // 230 // रे जीव ! जीववच्छल्ल-कारओ तं सि जइ फुडं ता मा। . वारेसु सावयजणे इय पूर्यते उ चेइहरे // 231 // जो जहवायं न कुणइ इच्चाइ निदंसिऊण अन्नेत्थ / सम्मत्तस्साभावं वयंति साहूण सव्याणं // 232 // एगतेणं नेवं जम्हा ववहार-निच्छयनयेहि। ... सव्वं पि जिणमयं खलु निद्दिटुं समयकेऊहिं // 233 // जइ पुण नेवं नेयं होज्जा, तो कह णु सबलचारित्ती / इगवीसट्ठाणेसु भणिओ एवं दसाईंसु - // 234 // आउट्टियाए पाणाइ-वायकत्ता तहा उ भुजंतो / आहाकम्मं कंदाइयं च एमाइ. इगवीसं // 235 // नाणे सइ चारित्तं, नाणं पुण होइ सम्मदिट्ठिस्स / तो नज्जइ समत्तं जहवायमकुव्वउ वि भवे // 236 // तह मिरिइनंदिसेणा ताण मया मिच्छदिट्ठिणो होति / मोत्तूण तो त्ति भूमी एमाइ जिणाणभंगाओ // 237 // समत्तं पुण ताणं समयम्मि य देसियं तओ मुणह / सव्वत्थ नयमएणं सुत्ताणं होइ वक्खाणं // 238 // किंची उस्सग्गसुयं ववायसुयं व किंचि किंचेत्थ / . उभयसुयं पुण किंची मुझंती तेण मंदमई // 239 // तह समयविऊ वयणं वयंति वयणाई बहुपयाराई / निंदाथुइभेएणं हवंति तो जीव ! मा मुज्झ // 240 // 260