________________ // 76 // // 77 // // 78 // // 79 // // 80 // // 81 // ता जइ कुणंति केइ तुह वयणं देसु तेसु उवएसं / अह नो कुणंति रे जीव रमसु नो जत्थ रागाइ केण वि गुणेण दंसणपंभावगं पिच्छिऊण आयरियं / केई कसायनडिया तं पि हीलंति मूढमई कप्पम्मि वि भणियमिणं सूरीणामासायगा इमे भणिया / जे सयलजणसमक्खं भणंति एवं अहम्माणी इड्डिरससायगरुया परोवएसुज्जया जह मंखा / अत्तट्ठघोसणरया घोसिति दीया व अप्पाणं अन्नं च एत्थ दोसो लोयविरुद्धं हविज्ज इव वयणं / रीढा जणपुज्जाणं वयणाउ ता तुमं जीव मा मा कुणसु अवनं सया वि तेसिं कसायनडिओ वि / जेण भवपंजराओ मुच्चसि निस्संसयं झत्ति तित्थयरवंदणिज्जं संघं पि खिवेइ कोइ अइबालो / नत्थि संघो एसो भणिओ आसायगो कप्पे . अक्कोसतज्जणाई संघमहिक्खिवइ संघपडिणीओ / अन्ने वि अत्थि संघा सियालणंतिकमाईणं उग्घाडणाभएणं सुयकेवलिणा वि मनिओ संघो / पुव्वाणं परिवाडी देहि भणंतो महासइणा अम्हाणं चिय संघो अन्नाणं न उण लक्खणाभावा / नेवं वोत्तुं जुत्तं छउमत्थाणं जओ भणियं परमरहस्समिसीणं सम्मत्तगणिपिडगभत्थसाराणं / परिणामियं पमाणं निच्छयमवलंबमाणाणं संघस्सोवरि वयणं किं पि मा भणसु जीव ! पडिकुटुं। जइ तित्थंकरवयणं मणम्मि भावेण संपत्तं 240 // 82 // // 83 // // 84 // // 85 // // 86 // // 87 //