________________ पुव्वायरणभंगो जिणाण आसायणा विपडिवत्ती, सद्धाभंगो मुद्धाणं होंति एमाइया दोसा // 44 // किंचित्थ अस्थि जुत्ती वि पयडहरिभद्दसूरिवयणाओ। तं च इमं तिविहा खलु होइ पइट्टा जिणिंदाणं // 45 // पढमा वत्तिपइट्ठा खेत्तपइट्टा. पुणो भवे बीया / तइया महापइट्ठा तासिं वक्खाणमेवं तु // 46 // वत्तिविसेसो एगस्स जा उ पडिमा भवे जिणिंदस्स / खेते भरहे उसभाइयाण सव्वाण बीयाउ // 47 // सव्वेसु वि खेत्तेसु जित्तियमित्ता भवंति तित्थयरा / सत्तरसयसंखाए महापइट्ठा इमा भणिया // 48 // तो णज्जइ चउवीसट्ठयाइकरणं अह विभिन्नकरणे वि।। सहलं हविज्ज सच्चं वित्ताइअभावकरणेवं // 49 // जं पि अहरुत्तरेणं करणे आसायणा भणंतन्ने / . तं पि य न जुत्तं सव्वे तुल्लगुणा जेण तित्थयरा // 50 // मइमोहं तो मा कुणसु जीव वंदसु जिणिंदपडिमाओ / जह तह पइट्ठियाओ इच्छंतो सासयं सोक्खं // 51 // सव्वं पि अणुट्ठाणं अविहिकयं केइ पडिनिसेहति / अस्सुयसुयपरमत्था जम्हा एवं परूविति // 52 // अविहिकया वरमकयं अस्सुइवयणं भणंति समयन्नू / अविहिकए पच्छित्तं थोवं अकए बहु होइ // 61 // अकुणताउ कुणंतो अविहीइ वि होइ निज्जराभागी / कित्तिमेत्ता सत्ता जं विहिविनायगा लोए // 62 // लोयविरुद्धं चेयं अविहीइ निसेहणं कुणंताणं / उज्जुधम्मकरणहसणं इच्चाई वयणओ सिद्धं // 63 // 245 . . . 245