________________ // 33 // // 34 // // 36 // // 37 // दसणनाणचरितं तवविणयं जत्थ जत्तियं जाण / जिणपत्रतं भत्तीए पूयए तत्थ तं भावं . रे जीव ! तुमं तम्हा सिहरट्ठियधयवडो व्व मा चलसु / काउणं थिरचित्तं गुणाणुराइत्तणं धरसु कुग्गाहुच्छाइयसुहविवेयपसरा रसंति एवन्ने / नो माहमाल जुत्ता सिद्धते जेण पडिसिद्धा लोइयतित्थेसु ण्हाणदाणइच्चाइवयणओ / तं नो जं जं लोए कीरइ तं तं जइ सव्वमकज्जं . तो जत्ता रहभमणं उववासो देवभवणपूयाई / मा कुणह सया तुम्हे लोए किज्जन्ति जुत्तीतो एयं पि जुज्जइ च्चिय जइं सक्खा वारियं भवेज्ज इमं / समईए वारिताण अंतरायं जतो भणियं . पाणिवहाईनिरओ जिणपूयामोक्खमग्गविग्घयरो / अज्जेइ अंतरायं ण लहई जेणिच्छियं लाभं. मा मा तुमं णिवारसु पूयं रे जीव ! जिणवरिंदाणं / जइ सयलसोक्खवल्लीणमप्पणो महसि उल्लासं जं अत्थओ अभिन्न अन्नत्था सद्दओ वि तह चेव / तं पि पओसो मोहो विसेसतो जिणमयट्ठियाणं किंचाणुमयं हरिभद्दसूरिणो कि वि लोइयं जेण / भणियं बिबट्ठवणे विहिमागमलोगनीईए लोयगहणाओसिरीअभयदेवसूरीहिं तत्थ वक्खायं / . अविरुद्धं लोइयम वि कीरइ पासायकरणाई चउवीसवट्टयाई पडिमाओ जिणाण केई वारिति / / तं पि न जुत्तं जम्हा एए दोसा पसज्जन्ति / // 38 // // 39 // // 40 // // 41 // // 42 // // 43 //