________________ // 6 // // 7 // // 8 // // 9 // // 10 // जं दूसमभावाओ एगे अलसा सधम्मकज्जेसु / अन्ने तद्दोसविकत्थणाए लोयाण सावेक्खा तह पन्नविति धम्मं जह नियपक्खस्स होइ परपुट्ठी / जाणंति णेय मूढा अत्ताणं वंचिमो एवं जह सरणमुवगयाणं जीवाणिच्चाइ निसुणिऊणं पि / अवगणियभवदंडा किर सच्चपरूवया अम्हे मा देसु तेसु मणयं पि माणसं माणमुव्वहंतेसु / धम्मरयपुव्वसूरीण मग्गभंगं कुणतेसु दव्वत्थउ त्ति केइ बिंबपइटु भणंति सड्ढस्स / तह कप्पे भणियमिणं संति पइट्ठवणवयणाओ सयममिलाणं दामं खिवंति सड्डीण खंधदेसम्मि / अह सत्थे भणियमिणं ति तत्थिमा त्ति. वत्तव्वा सत्थं पि बहुमयं ते रइयं जं पुव्वसूरिपवरेहिं / ताणायरणं नणु मूढ होइ गिज्झं विसेसेण / असढेहिं समाइण्णं इच्चाइवयणओ तयं सिद्धं / कप्पम्मि वि जं भणियं तं अणुजाणाहिगारम्मि तत्थ य पढमं ठवणं पढमं णसणं भणंति समयविऊ। पुव्वं पइट्ठियाए रहम्मि अणुयाण अहिगारा . तह कासद्दह-सिरिभिल्लमाल-सच्चउरबिंबमाईणं / अपमाणयं कुणंतेहिं तेहिं अप्पा भवे खित्तो . कप्पुत्तमेवमाइं अवि पडिमासु वि तिलोयमहियाणं / पडिरूवमकुव्वंतो पावइ पारंचियं ठाणं जह समयण्णू जंपति मुणसु तइ जीव ! समयवयणाई / पुव्वुत्तदोसजालस्स जेण नो भायणं होसि // 12 // // 12 // // 14 // // 15 // // 16 // 241