________________ // 18 // // 19 // // 20 // // 21 // // 22 // // 23 // जीयं जोव्वणमिड्डी रूवं पियसंगमो बलं सव्वं / विसमखरमारुयाहयकुसग्गजलबिन्दुणा सरिसं. जम्मजरामरणेहिं अभिभूयाण बहुवाहितत्ताणं / जन्तूण नत्थि सरणं धम्मो जिणभासिओ मोत्तुं सव्वे जाया सयणा सव्वे जीवा य परजणा जाया / सव्वेसि जीवाणं पडिबन्धं तेसु को कुणइ एगो पावइ जम्मं एक्को च्चिय मरइ कम्मवसगो त्ति / एगो सुहदुक्खाइं जीवो अणुहवइ संसारे अन्नं इमं सरीरं अन्ना धणधनसंपया सयला / अन्नो य एस जीवो बहुहा परिभमइ संसारे वसमंसरुहिरचम्मट्ठिविरइए असुइपूरिए अन्तो। देहेऽसुइघरसरिसे मुच्छं को कुणइ जाणतो अइलालियं पि अइपालियं पि देहमइरेण मोत्तवं / भाडीगहियं व्व घरं विद्धंसणधम्मयं एयं धीरेण वि मरियव्वं काउरिसेण वि. अवस्समरियव्वं / तह मरियव्वं विउसा जह मरणं पुण न संहवइ अरहन्ता मह सरणं सिद्धा साहू य बम्भवयजुत्ता / केवलिणा पन्नत्तो धम्मो ताणं च सरणं च जिणधम्मो मह माया जणओ य गुरू सहोयरा साहू / सह धम्मयरा मह बन्धवा य सेसं पुणो जालं उसभाईतित्थयरे चउवीसं सुरनए नमसामि / भरहेरवयविदेहे जे केई ते य वन्दामि अरहन्तणमोकारो जीवं मोएइ भवसहस्साओ / भावेण कीरमाणो होइ पुणो बोहिलाभाए // 24 // // 25 // // 26 // // 27 // // 28 // // 29 // 231