________________ // 56 // // 57 / / // 58 // // 59 // // 60 // // 61 // ते मे खमंतु सव्वे अहं पि तेसिं खमामि अवराहं / मित्तीभावमुवगओ वेरपबंधेण य विमुक्को / अह कयखामणजोगो जोग्गत्तं अप्पणो मुणेऊण / अभिवंदिऊण देवे गुरू य कुज्जा अणसणं तु तिविहं चउव्विहं वा आहारं मुयइ मुणियनियभावो / तं पुण सागारं वा करेज्ज अहवा निरागारं भवचरिमं पच्चक्खामि चउविहं अहव तिविहमाहारं / आमारचउक्केणं अण्णत्थिच्चाइणा सम्म एवं किर सागारं, महयरपभिईविवज्जियं इयरं / पाणाहारे कप्पइ सुद्धोदगमेव से नवरं अब्भंगाई सव्वं समाहिहेडं ति तत्थ न विरुद्धं / जेण समाही एत्थं सारो सुगईए हेउ त्ति एत्थ पुण परिहरेज्जा कंदप्पाईणि दुट्ठकम्माणि / .. इह परलोगे मरणे जीविय कामेसु आसंसं इय पडिवण्णाणसणो सम्मं भावेज्ज भावणाओ सुभा / एगत्ता-ऽणिच्चत्ता ऽसुइत्त अण्णत्त पभिईओ एगो हं, नत्थि मे कोई, न याऽहमवि कस्सई / वरं धम्मो जिणक्खाओ एत्थं 'मज्झ बिइज्जओ अणिच्वं जीवियं देहो जोव्वणं पियसंगमो / नत्थि इत्थ धुवं किं पि जत्थ राओ विहीयइ देहो जीवस्स आवासो, सो य सुक्काइसंभवो / धाउरूवो मलाहारो सुई नाम कहं भवे ? एगो मे सासओ अप्पा नाण-दसणसंजुओ / सेसा मे बाहिरा भावा सव्वे संजोगलक्खणा // 62 // // 63 // // 64 // // 65 // // 66 // // 67 // ૨૧છે.